आख़िर क्यों कांग्रेस पार्टी गाँधी परिवार से बाहर निकलने की नहीं सोच पाती है? ऐसा क्या है कि वह उसी परिवार के इर्द गिर्द घूमती रहती है? यह परिवार इस पार्टी की ख़ूबी है या बोझ?
क़रीब एक सौ चौंतीस साल पुरानी कांग्रेस 2014 और 2019 की हार के कारण सन्निपात की स्थिति में पहुँच गई है। एक पार्टी के तौर पर यह इतनी विचलित पहले कभी नज़र नहीं आयी। क्या हिंदू राष्ट्रवाद के भँवर में फँसकर ऐसी स्थिति में कैसे पहुँच गई?