कोरोना के मद्देनज़र यात्रा छूट को लेकर यूरोपीय संघ और भारत के बीच चला आ रहा विवाद अब सुलझता दिख रहा है। यूरोपीय संघ के कम से कम सात देशों और स्विट्ज़रलैंड व आइसलैंड ने कोविशील्ड को वैक्सीन पासपोर्ट के लिए हरी झंडी दे दी है।
कोविशील्ड और कोवैक्सीन को यूरोप में यात्रा के लिए कोरोना प्रतिबंधों से छूट के लिए शामिल नहीं किया जाता है तो भारत भी यूरोपीय देशों के नागरिकों को भारत में मैनडेटरी यानी अनिवार्य क्वारेंटीन से छूट नहीं देगा।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका कंपनी की वैक्सीन और फाइज़र की वैक्सीन के कॉकटेल पर शोध में सामने आया है कि दोनों टीकों की एक-एक खुराक को 4 हफ़्ते के अंतराल पर लेने से शरीर में काफ़ी ज़्यादा एंटी-बॉडी बनती है।
यूरोप के देशों का संगठन यूरोपीय यूनियन वैक्सीन पासपोर्ट स्कीम लाने वाला है लेकिन कोविशील्ड लगाए लोगों को उसका फायदा नहीं मिलेगा। कोविशील्ड के साथ आने वाली इन दिक्कतों को लेकर अदार पूनावाला ने कहा है कि वह जल्द ही इस मुद्दे को सुलझाएँगे।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। स्वास्थ्य मंत्रालय : कोवैक्सीन बनाने में बछड़े के सीरम का इस्तेमाल । वैज्ञानिकों की सहमति के बिना खुराक के अंतराल को बढ़ाया सरकार ने? देखिए दिनभर की ख़बरें-
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कोविशील्ड वैक्सीन की खुराकों के बीच के अंतराल बढ़ाने पर फिर विवाद हो गया है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बिना उनकी सहमति के ही सरकार ने कोविशील्ड की खुराकों के अंतराल को दोगुना कर दिया था। जानिए, सरकार ने किस आधार पर खारिज किया...
यूरोप सहित कुछ देशों में जहाँ अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन मिक्स कर और लगाकर ट्रायल किया जा रहा है वहाँ उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले में 20 लोगों को मिक्स वैक्सीन लापरवाही में लगा दी गई।
ब्रिटेन में एक शोध में यह सामने आया है कि ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी- एस्ट्राज़ेनेका और फाइज़र की वैक्सीन की दो खुराक भारत में मिले कोरोना वैरिएंट बी1.617.2 पर 80 फ़ीसदी से ज़्यादा कारगर है।
आईसीएमआर ने कहा है कि कोवैक्सीन की खुराक से शरीर में उतनी एंटी-बॉडी नहीं बनती है जितनी कोविशील्ड की। कोवैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद पर्याप्त मात्रा में एंटी-बॉडी बनती है जिससे कि शरीर कोरोना वायरस से लड़ सके।
वैक्सीन नीति फेल होने के बाद झूठी तसल्ली देने में जुटी है मोदी सरकार? और क्यों बढ़ाई गई कोविशील्ड की दो डोज़ के बीच की अवधि? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास का विश्लेषण-