राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी यानी एनआईए ने भीमा कोरेगाँव मामले में यलगार परिषद के 15 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल किया है, उन पर 16 अभियोग लगाए गए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने का आरोप इसमें शामिल नहीं है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों और अकादमिक जगत से जुड़े कई लोगों को 'राज्य का शत्रु' (एनेमी ऑफ़ स्टेट) घोषित कर रखा है और उन्हें 'केंद्रीय युद्ध पुस्तिका' (यूनियन वॉर बुक) में शामिल कर लिया है।
भीमा-कोरेगाँव और उससे संबंधित एल्गार परिषद के मामले में पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि वह इस मामले में अब तक जाँच के कुछ तथ्य लोगों के सामने लाना चाहते हैं।
क्या असहमति के बिना लोकतंत्र संभव है? इस पर सरकारें भले ही घालमेल करती हों, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने साफ़ संदेश दिया है कि असहमति लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।