कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आन्दोलन कर रहे किसानों ने पंजाब बीजेपी के वरिष्ठ नेता संजय टंडन और चंडीगढ़ के मेयर रविकांत शर्मा की गाड़ी से तोड़फोड़ की। पंजाब पुलिस ने इन किसानों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया है।
भारतीय किसान यूनियन ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि वह बीजेपी के ख़िलाफ़ नहीं है, पंचायत चुनाव में लोग जिसे चाहें, वोट दें। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा है कि यूपी पंचायत चुनाव 2021 में लोग चाहें जिसे वोट दें।
अब जबकि दिल्ली के पास चल रहे किसान आन्दोलन के चार महीने पूरे हो चुके हैं, कृषि क़ानूनों के अध्ययन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौप दी है।
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आन्दोलन के तहत हुए भारत बंद का पंजाब-हरियाणा में व्यापक असर दिखा है। इन दोनों राज्यों में रेल परिवहन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
Satya Hindi News bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। एक कृषि क़ानूनों के समर्थन में स्टैंडिंग कमेटी ने कहा है कि इसको केन्द्र सरकार लागू कर दे। ये किसानों के हित में है। इस कमेटी में बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी, शिवसेना, एनसीपी सहित 13 दलों के सदस्य शामिल हैं।
विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब किया और ब्रिटिश संसद में भारत के किसान आन्दोलन पर हुई बहस पर विरोध जताया। विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश संसद में हुई बहस को भारत के 'आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप' और 'वोटबैंक राजनीति' क़रार दिया।
सरकार अगर अचानक घोषणा कर दे कि परिस्थितियाँ अनुकूल होने तक अथवा किन्हीं अन्य कारणों से विवादास्पद कृषि क़ानूनों को वापस लिया जा रहा है तो क्या होगा किसान आन्दोलन का?
देश की 70 प्रतिशत आबादी के खेती-किसानी पर निर्भर रहने के बावजूद क्यों कोई सरकार उनकी मूलभूत समस्याओं का समाधान खोजने में गहरी दिलचस्पी नहीं लेती है या अब तक समाधान ढूंढ नहीं पायी है।
ऐसे समय जब केंद्र सरकार अपनी ज़िद पर अड़ी है कि कृषि क़ानून 2020 किसी सूरत में रद्द नहीं होंगे, किसानों ने इस आन्दोलन को देश के कोने-कोने में ले जाने का फ़ैसला किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन को लेकर उस जमात पर भी तंज कसा जो हर आन्दोलन में कड़ी आ जाती है। उन्होंने इन्हें आंदोलनजीवी, परजीवी आदि कहा। पर वे भी तो कभी आडवाणी के रथ यात्रा आन्दोलन में शामिल थे। आज की जनादेश में चर्चा इसी पर।
क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो महीने से अधिक समय से चल रहे किसान आन्दोलन और उसे स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाले समर्थन से बौखला गए हैं? क्या वे यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं कि लोग इससे जुड़ते जा रहे है?
कृषि क़ानून और किसान आन्दोलन पर क्यों सरकार ढिठाई से बिना पलक झपकाए उस सदन में झूठ बोल रही है, जहाँ संसद को गुमराह करना जनप्रतिनिधियों के विशेषाधिकार का हनन है?