टेरर फंडिंग और मनी लॉन्डरिंग रोकने के लिए बनी संस्था एफ़एटीएफ़ ने पाकिस्तान की कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि उसने एक्शन प्लान लागू नहीं किया तो कार्रवाई की जाएगी।
आतंकवादियों को मिलने वाले फ़ंड को रोकने में पाकिस्तान आख़िरी मौक़ा भी चूक गया है। अब इसके ब्लैक लिस्टेड होने यानी काली सूची में डाले जाने का ख़तरा और बढ़ गया है।
लश्कर-ए-तैयबा समेत 23 आतंकवादी गुटों के ख़िलाफ़ पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई का क्या है मतलब? क्या यह विश्व समुदाय की आँखों में धूल झोंकने की कोशिश है। सत्य हिन्दी के लिए प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
आर्थिक से लेकर राजनीतिक फ्रंट पर, हर तरफ से घिरा पाकिस्तान गंभीर संकट से बाहर निकलने के लिए हाथ-पैर मार रहा है। पर क्या प्रधानमंत्री इमरान ख़ान इसमें कामयाब होंगे?