आटा, चावल, दाल, तेल, साबुन, बिस्किट जैसे हर रोज़ की ज़रूरत के सामान की भारी किल्लत हो सकती है। लॉकडाउन के कारण अब स्टोर के स्टॉक में पहले से पड़े सामान ख़त्म हो रहे हैं और ऊपर से सप्लाई सही से हो नहीं रही है।
बेरोज़गारी के आँकड़े के बाद अब आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए एक और बुरी ख़बर है। तेल-साबुन और खाने-पीने जैसे उपभोक्ता सामान की माँग घट गयी है। एफ़एमसीजी सेक्टर की वृद्धि दर 11-12 प्रतिशत रह जाने की संभावना है।