लद्दाख की गलवान घाटी में पिछले क़रीब 7 हफ़्ते से जो चीन की आक्रामकता दिख रही है उसकी शुरुआत, दरअसल, काफ़ी पहले ही हो गई थी। इसके संकेत पिछले साल अगस्त में ही मिलने लगे थे।
गलवान में चीनी घुसपैठ पर भले ही सरकार कुछ भी कहे लेकिन पोर्टरों का कहना है कि जिन जगहों पर वे पिछले साल घोड़े ले जाते थे वहाँ अब उन्हें नहीं ले जाने दिया जा रहा है।
पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प क्यों हुई? 1967 में नाथू ला में हुई झड़पों के बाद पहली बार इतनी इतनी बड़ी तादाद में सैनिक मारे गए हैं।