दुनिया भर के डिजिटल समाचार उद्योग में बड़ी उथल-पुथल मची हुई है। गूगल और फ़ेसबुक जैसी कंपनियों और कई देशों के बीच जारी जंग इस परिवर्तन के केंद्र में है। ऑस्ट्रेलिया में विवाद चल रहा है।
गूगल, जी मेल, गूगल ड्राइव और यू ट्यूब एक साथ डाउन हो गए। दुनिया भर में तमाम लोगों को करारा झटका लगा। हालांकि कुछ ही देर में वो वापस आ गया लेकिन आशंका तो बड़ी हो गई। कहीं ऐसा फिर हुआ तो? कहीं यह आउटेज या डिजिटल अंधकार लंबा चलता रहे तो?
गूगल, एप्पल, फ़ेसबुक और एमेजॉन जैसी बड़ी और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी कंपनियों का बाज़ार पर एकाधिकार जल्द ही ख़त्म हो सकता है। यह भी हो सकता है कि इन कंपनियों को छोटी-छोटी कंपनियों में बाँट दिया जाए।
फ़ेसबुक के अंदर मेरे एसएमएस के सारे संदेश थे। मेरी कॉल डिटेल थी। आख़िर फ़ेसबुक के पास इसका क्या काम लेकिन वो ऐसा करता है। सवाल यह उठता है कि भारत के लिए फ़ेसबुक कैसे सेफ़ है?
ऐसे समय में जब भारत की अर्थव्यवस्था बेहद ख़राब दौर से गुज़र रही है और कोरोना संकट ने स्थिति को गंभीर बना दिया है, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई की एक घोषणा से उम्मीद बंधती है। गूगल अगले 5-7 साल में भारत में 75 हज़ार करोड़ रुपये निवेश करेगी।