जमात-ए-इसलामी ने 'हराम' के मुद्दे पर धार्मिक स्थिति साफ करते हुए कहा कि जान बचाने के लिए यदि दूसरी कोई चीज उपलब्ध न हो तो हराम का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसलाम में मनुष्य की जान को सबसे महत्वपूर्ण मानते हुए कुछ स्थितियों में 'हराम' के प्रयोग की भी छूट दी गई है।