आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों को मुफ़्त अनाज बाँटने में राज्य सरकारें विफल साबित हुई हैं। इनमें गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार भी शामिल हैं।
श्रमिकों ने सोचा कि सड़कों पर मारे-मारे फिरे तो सचमुच कोरोना से मर जाएँगे। किसी तरह घर पहुँच गए तो शायद ज़िंदा रह जाएँ अन्यथा मरण तो पक्का है। दोनों सूरतों में अगर मरना ही है तो क्यों न अपनी माटी में जाकर मिट्टी में मिल जाएँ।
मज़दूरों की बदहाली का ज़िम्मेदार कौन? आगे क्या राज्यों से परमिट लेकर जाएँगे मज़दूर? कोरोना काल में से राजनीति क्यों? आशुतोष, आलोक जोशी, कॉंग्रेस के चरण सिंह सापरा और बीजेपी के मनीष शुक्ला की चर्चा।
दिल्ली के लाजपत नगर में कोरोना की स्क्रीनिंग के लिए अपनी बारी के इंतजार में खड़े प्रवासियों पर नगर निगम के एक कर्मचारी ने इन्फ़ेक्शन से बचाने वाले कैमिकल का छिड़काव कर दिया।
राहुल गांधी ने मैदान छोड़ा नहीं है बल्कि इन दिनों उनकी उपस्थिति से सत्तारूढ़ दल बेचैन लगता है । प्रवासी मज़दूरों के मामले पर सरकार का अनवरत फेल्यौर राहुल गांधी के लिये वरदान साबित हुआ है। कांग्रेस ने हस्तक्षेप भी सटीक किया जिससे मोदीकैंप में पैदा हुई तिलमिलाहट कल निर्मला सीतारमण की प्रतिक्रिया में बाहर आकर बिखर गई । शीतल पी सिंह का विश्लेषण
प्रवासी मजदूरों को सम्मान सहित उनके घर पहुंचाने की मांग को लेकर राजघाट पर धरना दे रहे पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया है।