देश जब दवा, बेड्स, इलाज, ऑक्सीजन और टीके के अभाव में मौत सामने देख रहा है, देर से ही सही, प्रधानमंत्री के सांत्वना और भरोसे के दो शब्द देशवासियों ने सुने।
‘ऑक्सीजन’ पर सुप्रीम कोर्ट ने एक फ़ैसला लिया, दिया नहीं! फ़ैसला यह है कि मोदी की केंद्रीय सरकार जिसने ऑक्सीजन के देशव्यापी वितरण के सारे हक़ अपने आपके लिए कर लिये थे, वह अपने काम को संतोषजनक ढंग से नहीं कर सकी।
बीजेपी के तमाम नेता और केंद्रीय मंत्रियों का अक्सर कहते रहे हैं कि वे राहुल गांधी की किसी भी बात को गंभीरता से नहीं लेते। लेकिन होता यह है कि राहुल के सुझाव को ही आख़िरकार सरकार मानती है।
मोदी सरकार सरकारी संपत्ति बेचने पर आमादा है। सरकार के आठ मंत्रालयों ने उन संपत्तियों की सूची बनाई है जिनको बेचकर सरकार 2.5 लाख करोड़ की उगाही करेगी। देखिए वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार के साथ दिनभर की बड़ी ख़बरें
पेट्रोल-डीजल-गैस के बेलगाम बढ़ते दाम का असर लोगों की जेब पर पड़ने लगा है और आने वाले दिनों में जेब का सुराख और बड़ा होता चला जाएगा। क्या मोदी सरकार महंगाई से जनता में उभरते जनाक्रोश को देख नहीं पा रही है?
कोरोना की वैश्विक महामारी ने एक साल पहले जब भारत को अपनी चपेट में लेना शुरू किया था तब केंद्र और बीजेपी शासित राज्यों की सरकारों ने सीएए और एनआरसी वाले आंदोलन को दबा दिया था। अब किसान आंदोलन है।
बुद्धिजीवियों को सरकार क्यों कहती है आतंकवादी? आंतरिक मामले बताकर सरकार लगा रही है स्वतंत्र और साफ चर्चा पर रोक? देखिए वरिष्ठ पत्रकार नीलू व्यास की रिपोर्ट। Satya Hindi
देश में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से ज़्यादा हो गया है। पहले जब 71 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल था तो बीजेपी शोर मचाती थी, क्या वह वैसी हायतौब मचा रही हैं?
सरकार ने सुधारों के नाम पर जनता के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस को बयानबाजियों और दूसरे के धरनों व रैलियों में जाने से इतर अपनी रणनीति साफ़ करने की ज़रूरत है।
14 जनवरी के बाद कभी भी कैबिनेट का विस्तार हो सकता है। कैबिनेट के विस्तार में बिहार से सुशील मोदी के अलावा चिराग पासवान को मंत्री बनाए जाने की प्रबल संभावना है।
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में समान तलाक़ संहिता के लिए एक याचिका दायर की है। लेकिन समान नागरिक संहिता पर सरकार की तरफ़ से अभी तक कोई विशेष पहल नहीं हुई है।
‘अछूत’ माने जाने वाली बीजेपी को कैसे वाजपेयी ने खड़ा किया? आडवाणी और वाजपेयी में क्या था बड़ा फर्क़? मोदी को लेकर क्या सोचते थे वाजपेयी? देखिए वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की खास बातचीत अटल बिहारी वाजपेयी पर किताब लिखने वाले शक्ति सिन्हा के साथ।
सीएए-एनआरसी का विरोध करने वाले लोगों को दंगों का अभियुक्त बनाने, उन पर यूएपीए और राजद्रोह का मुकदमा लगाने से कई सवाल खड़े होते हैं। राजनीतिक विरोधियों से राजनीतिक तरीकों से निपटने के बजाय क्या राज सत्ता का दुरुपयोग करते हुए विरोध की आवाज़ को दबाया जा रहा है।