तालिबान का क्रूर चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है। पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के भाई रूहल्लाह अज़ीज़ी की हत्या किए जाने की खबर है। उनके परिजनों ने यह दावा किया है।
पंजशिर घाटी में समझौते के धार्मिक विद्वानों के प्रस्ताव का रेजिस्टेंस फ्रंट के नेता अहमद मसूद ने स्वागत किया है। तो क्या अब तालिबान और रेजिस्टेंस फ्रंट के बीच युद्ध ख़त्म हो जाएगा?
अफ़ग़ानिस्तान के विरोधी धड़े नेशनल रेजिस्टेन्स फ़ोर्स ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान ने दावा किया है कि पंजशीर घाटी में 600 से ज़्यादा तालिबान लड़ाके मारे गए हैं और एक हज़ार से ज़्यादा पकड़े गए हैं या आत्मसमर्पण कर दिया है।
पंजशिर घाटी में कथित कब्जे के जश्न में तालिबानी लड़ाकों द्वारा काबुल में की गई हवाई फ़ायरिंग में बच्चे सहित कई लोगों के मारे जाने की ख़बर है। हालाँकि रेजिस्टेंस फोर्सेस ने पंजशिर घाटी में तालिबान के कब्जे के दावों को खारिज किया है।
तालिबान ने दावा किया है कि शुक्रवार को उसने पंजशिर भी कब्जा कर लिया है और इसके साथ पूरा अफ़ग़ानिस्तान उसके नियंत्रण में है। रेजिस्टेंस फोर्सेस की ओर से अमरूल्लाह सालेह ने तालिबान के कब्जे के दावों को खारिज किया है।
अफ़ग़ानिस्तान की हुकूमत पर काबिज होने के लिए तालिबान जब तेज़ी से क़दम बढ़ा रहा था तभी से यह सवाल सबके मन में था कि क्या तालिबान इस अजेय किले को इस बार भेद पाएगा।
तालिबानी लड़ाके अफ़ग़ानिस्तान की पंजशिर घाटी के पास पहुँच गए हैं और इसने ने दावा किया है कि उसने पंजशिर के आसपास के तीन ज़िलों पर फिर से कब्जा कर लिया है।
पंजशिर घाटी की ओर बढ़ रहे तालिबान लड़ाकों को उसके पहले अंदराबी घाटी में अहमद मसूद और अमीरुल्ला सालेह के नेतृत्व वाले सेकंड रेजिस्टेन्स के लोगों ने रोक दिया है।
तालिबान ने कहा है कि इसके सैकड़ों लड़ाके पंजशिर घाटी की ओर बढ़े हैं। सोशल मीडिया पर कई वीडियो साझा किए गए हैं जिसमें दावा किया गया है कि तालिबान के लड़ाके सैकड़ों वाहनों में पंजशिर की ओर बढ़ रहे हैं।
तालिबान के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है, वह है पंजशिर प्रांत। पूरे मुल्क़ में यही एक प्रांत है, जहां पर तालिबान तो छोड़िए, सोवियत संघ से लेकर अमेरिका तब कब्जा नहीं कर पाए और इस बात के लिए पंजशिर की मिसाल दी जाती रही है।