पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बिना किसी के नाम लिए तानाशाही का ज़िक्र क्यों किया? उन्होंने असहमति को लोकतंत्र के लिए ज़रूरी क्यों कहा? क्या आज़ादी के नारे पर देशद्रोह की धमकी देने वाले यूपी के सीएम योगी इससे सबक़ लेंगे? क्या विरोध करने वालों से गृह मंत्री अमित शाह नरमी से पेश आएँगे? देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
देश भर में नागरिकता क़ानून यानी सीएए के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शन के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक कार्यक्रम में तानाशाही, असहमति, शांतिपूर्ण प्रदर्शन और लोकतंत्र जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया।