राजस्थान मानवाधिकार आयोग का यह कौन- सा रूप है। उन्हें स्त्रियों के हितों की इतनी चिंता होती तो क्या वे लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही किसी महिला को उपस्त्री यानी रखैल का दर्जा देते?
क्या लिव-इन में रहना महिला के मानवाधिकारों का उल्लंघन है और उसके लिए ‘रखैल’ जैसी स्थिति है? कम से कम राजस्थान मानवाधिकार आयोग का एक आदेश तो ऐसा ही मानता है।