जिस तरह गांवों में झोलाछाप डॉक्टरों को समझ में नहीं आ रहा है कि कोरोना का इलाज कैसे किया जाए, वैसे ही भारत सरकार के इन विशेषज्ञों को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
रामदेव जी कोरोनिल को लेकर फिर फँस गए हैं । मद्रास हाईकोर्ट ने उन पर दस लाख रुपये का जुर्माना ठोंक दिया है और कोरोनिल नामका उपयोग करने पर पाबंदी लगा दी है । कोरोनिल ट्रेडमार्क तमिलनाडु की एक दूसरी कंपनी के पास 2013 से ही रजिस्टर्ड है । देखिये शीतल के सवाल