कोरोना के बढ़ते संकट, रोज़ाना होने वाली पहले से ज़्यादा मौतों और अव्यवस्था व अफरातफरी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है और सवालों की बौछार कर दी है।
महाराष्ट्र में एक और बीजेपी नेता अब रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर विवादों में घिरता नजर आ रहा है। देवेंद्र फडणवीस और प्रवीण दरेकर का मुद्दा अभी शांत भी नहीं हुआ कि अहमद नगर से बीजेपी सांसद सुजय विखे पाटिल का मामला गरमाने लगा है।
रेमडेसिविर नाम की दवा को लेकर देश भर में हाहाकार मचा हुआ है। जम कर कालाबाज़ारी हो रही है। क़रीब चार हज़ार रुपए की यह दवा 45 से 60 हज़ार में बिक रही है। कुछ जगहों से डेढ़ लाख में मिलने की ख़बर भी आयी है।
मध्य प्रदेश के भोपाल में कोरोना के गंभीर रोगियों की जान बचाने के लिये उपयोग किये जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शनों को मेडिकल कॉलेज की नर्स खुले बाज़ार में ब्लैक करवा कर पैसे बना रही थी।
ऑक्सीजन की कमी से बहुत सारे रोगी गंभीर स्थिति में पहुँच रहे हैं। इसके चलते आईसीयू और वेंटिलेटर पर रोगियों की संख्या बढ़ रही है। डॉक्टर ने यह भी बताया कि ऑक्सीजन की व्यवस्था हो तो बहुत सारे रोगियों का घर पर ही इलाज हो सकता है।
कोरोना को लेकर अव्यवस्था पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने निर्देश दिये हैं कि कोरोना के गंभीर रोगियों को एक घंटे में रेमडेसिविर इंजेक्शन और 36 घंटे में आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए।
ब्रुक फार्मा के एक अधिकारी के ख़िलाफ़ पिछले सप्ताह इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करने का मामला गुजरात पुलिस ने भी दर्ज किया था।पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाज़ारी के मामले में 14 अप्रैल 2021 को पकड़ा था।
महाराष्ट्र पुलिस ने छापा मारकर क़रीब साठ हज़ार रेमडेसिविर इंजेक्शन पकड़े और फार्मा कंपनी के मालिक को हिरासत में लिया तो उसे बचाने के लिए देवेंद्र फडनवीस अपने सहयोगियों के साथ पुलिस स्टेशन पहुँच गए।
पहले कोरोना दवाओं की डकैती के आरोप लगे थे और अब एक तरह से दवा की जमाखोरी का आरोप लगा है। यह आरोप उत्तर कोरिया जैसे किसी दुश्मन देश ने नहीं, बल्कि इंग्लैंड जैसे देश ने लगाया है।
कोरोना वायरस मरीज़ों के इलाज के लिए जिस दवा से उम्मीदें बंधी थीं उन पर संदेह के बादल छा गए हैं। अनजाने में जारी कर दिए गए एक रिपोर्ट के एक मसौदे में कहा गया कि पहले क्लिनिकल परीक्षण में दवा फ़ेल रही है।