एम्स में अनुसूचित जाति एवं जनजाति सेल समिति द्वारा सौंपी गई एक रिपोर्ट में पाया गया है कि एम्स की महिला डॉक्टर के ख़िलाफ़ जातिगत और लैंगिक टिप्पणी की गई है। उसके सीनियर रेजिडेंट ने महिला चिकित्सक को ‘औकात में रहो’ जैसी टिप्पणियाँ कीं।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने फ़ैसला दिया है कि फ़ोन कॉल के दौरान जाति-आधारित टिप्पणी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध नहीं बनती है।