सिस्टर अभया की हत्या किसी विधर्मी ने नहीं की थी! वे अगर अपनी ही जमात के दो पादरियों और एक सिस्टर को 27 मार्च 1992 की अल सुबह कॉन्वेंट के किचन में आपत्तिजनक स्थिति में देखते हुए पकड़ नहीं ली जातीं तो निश्चित ही आज जीवित होतीं।
विशेष सीबीआई अदालत ने तिरुवनंतपुरम में फ़ादर थॉमस कुट्टूर और सिस्टर सेफ़ी को सिस्टर आभया की हत्या करने और सबूत नष्ट करने का दोषी माना है। उन्हें आजीवन कारावास के साथ-साथ 5-5 लाख रुपए के ज़ुर्माने की सज़ा दी गई है।