केंद्र सरकार ने दूरसंचार यानी टेलीकॉम सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट से सौ प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही स्पेक्ट्रम फ़ीस चुकाने के लिए चार साल की समय सीमा दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी हज़ारों करोड़ रुपये के बकाए को लेकर टेलीकॉम कंपनियों और सरकार पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। इसने कहा है कि क्या इस देश में कोई क़ानून नहीं बचा है?
पूरी अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में पहले से ही है, दूरसंचार क्षेत्र की कंपनयों पर संकट बढ़ता जा रहा है, एक ही कंपनी का वर्चस्व बढ़ रहा है। क्या है मामला?