राहुल की कांग्रेस में आरएसएस के कौन लोग हैं? कांग्रेस क्या अब टाइटैनिक जहाज़ हो गया है? द विजय त्रिवेदी शो में कांग्रेस की हालत पर चर्चा वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी के साथ.
बचपन के यार राहुल से क्यों चिढ़े सिंधिया? 300 साल से सत्ता में कैसे बना है सिंधिया परिवार? हमेशा कांग्रेस में रहने के बावजूद सिंधिया परिवार को कांग्रेस रास क्यों नहीं आई? द विजय त्रिवेदी शो में वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई से उनकी किताब "The House of Scindias- A Saga of Politics, Power and Intrigue’ पर दिलचस्प बातचीत।
यशवंत सिन्हा क्यों कह रहे हैं कि अब लोगों के पास जेल के अलावा विकल्प नहीं है? कांग्रेस को माइनस करने की बात को घातक क्यों बता रहे हैं सिन्हा? और अनु. 370 को लेकर क्या इस सरकार से उम्मीद खो चुके हैं सिन्हा ? देखिए वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी और पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा की बहुत ही दिलचस्प चर्चा।
पीएम मोदी का कैबिनेट विस्तार 6 राज्यों में चुनाव को ध्यान में रखते हुए होने जा रहा है. उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में 2022 में चुनाव होंगे, विस्तार में चुनावी राज्यों के प्रतिनिधियों के लिए अधिक स्लॉट आरक्षित किए जा सकते हैं। क्या सब हो सकता है? देखिये द विजय त्रिवेदी शो
कैसे रहे मोदी सरकार के सात साल? क्या अबब लोगों का भरोसा मोदी से उठ रहा है? मोदी के लिए सबसे मुश्किल होगा ये सातवां साल? देखिये वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी के साथ
पश्चिम बंगाल में क्या इस बार परिवर्तन के लिए वोट हो रहा है? चुनाव आयोग नेताओं पर कार्रवाई से क्यों डरता है? देखिए वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी और राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार की एक अर्थपूर्ण चर्चा। Satya Hindi
पीएम संतों से कुंभ मेले का समापन करने और प्रतीकात्मक स्नान करने की अपील करते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में शेष चरण के चुनाव एक बार में करने की कोई अपील नहीं की गई है। राजनीति मानव जीवन से अधिक महत्वपूर्ण क्यों है, केवल एक चरण में मतदान करने में क्या समस्या है।
भारतीय चुनावों में अल्पसंख्यक हमेशा से ही निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। इसलिए राजनीतिक पार्टियां खुद को उनका चहेता दिखाने की कोशिश करती रही हैं। लेकिन इस बार बंगाल में बीजेपी से लेकर ममता बनर्जी भी हिंदू दिखने पर अधिक जोर दे रही हैं। मंच से चंडी का पाठ किया जा रहा है। कोई मुसलमानों को लेकर बात नहीं कर रहा है। तो क्या मुसलमानों की किसी को ज़रूरत नहीं है? इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की बेहद रोचक चर्चा।