बेबस मज़दूरों को हमारे सिस्टम ने रेल की पटरी पर रौंदकर क्षतविक्षत दिया। सबक़ दिया कि तुम कहाँ तक छिपकर भागोगे। तुम्हें फिर से दास बनना है। कोरोना के बहाने तंत्र तुम्हें फिर से दासप्रथा में लाएगा वरना तुम्हारी स्थिति कीट पतंगों जैसी है। सत्ता और समाज से पूछ रहे हैं शीतल पी सिंह।