तीन तलाक़ विधेयक पर जब लोकसभा में चर्चा चल रही थी तो सदन के बाहर कई लोग ऐसे भी हैं जो महिलाओं को तलाक़ का हक़ देने की बात कर रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या महिलाओं को भी यह अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए?
भारत में भले ही एक साथ तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ विधेयक पर हंगामा मचा है, लेकिन दुनिया के कई देशों में इस पर पूरी तरह प्रतिबंध है। भारत में क़ानून के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति है, तो दूसरे देशों में क्यों नहीं आईं आपत्तियाँ?