पिछले महीने पूरा देश पानी की कमी से जूझ रहा था। देश के अधिकतर हिस्सों में मानसून की बारिश शुरू हो गयी और अब पानी की समस्या पर उस तरह की चर्चा नहीं की जा रही है। क्या मानसून की आड़ में छुपना ही समाधान है?
पीने के पानी निकट भविष्य का सबसे बड़ा संकट बनने जा रहा है। हाल यह है कि दूध और तेल की तरह पानी भी ट्रेन से भेजा जाएगा। एक करोड़ लीटर पानी लेकर एक ट्रेन जोलारपेट से चेन्नई भेजी गई है।
देश के अधिकतर हिस्सों में पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। ज़मीन बंजर होती जा रही है। प्रदूषण के कारण साँस लेना दूभर होता जा रहा है। इस पूरे बदलाव से कई प्रजातियाँ ग़ायब हो गई हैं। तो क्या एक दिन हम अपना अस्तित्व भी खो देंगे?