जहाँ तक नीतीश कुमार का कद छोटा होने का सवाल है तो यह सर्वेक्षण बताता है कि नीतीश कुमार को सीटें ज़रूर कम मिलीं, पर उनके सामाजिक आधार ने उनका साथ नहीं छोड़ा।
लालू यादव के जंगल राज’ का मुद्दा चला कर नीतीश कुमार के जनाधार के एक अच्छे-ख़ासे हिस्से को महागठबंधन की तरफ खिसकने से रोकने की रणनीति पहले चरण के मतदान तक 50 फ़ीसदी तो नाकाम हो ही चुकी है।
कुछ दिन तक पहले तक जिस भारतीय मीडिया की तारीफ़ उसकी निडरता और निष्पक्षता के लिए होती थी, वह यकायक प्रधानमंत्री के सामने दीन-हीन क्यों है? क्यों उसने घुटने टेक दिए हैं?
कुछ जानकारों ने दावा किया है कि मोदी ने ऊँची जातियों को दस फ़ीसदी का आरक्षण घोषित करके एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक मार दिया है जिससे 2019 के चुनाव के लिए पूरी हवा उनके पक्ष में बहने लगेगी। क्या डरे हुए नेता मास्टर स्ट्रोक मारते हैं?