केंद्र की नीयत साफ़ होती तो वह अध्यादेश लाती कि टीचिंग व नॉन-टीचिंग स्टाफ़ की भर्ती में 49.5 प्रतिशत आरक्षण लागू हो, लेकिन इसके बजाए वह सिर्फ़ बहाने बना रही है।
विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण के मसले पर उत्तर प्रदेश की राजनीति के अखाड़े के मज़बूत पहलवान सपा और बसपा के आक्रामक होने से मोदी सरकार सकते में है। इसे शायद ऐसी उम्मीद नहीं थी।
नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के एससी-एसटी और अन्य पिछड़े वर्ग समुदाय के लिए विश्वविद्यालयों में आरक्षण के माध्यम से नौकरियाँ मिलने का दरवाजा पूरी तरह बंद कर दिया है।
एससी, एसटी के लिए 22.5 प्रतिशत आरक्षण होने के बाद भी इस वर्ग के लोगों को फ़ायदा नहीं मिला। ऐसा इसलिए क्योंकि विश्वविद्यालयों की परिषदों ने आरक्षण को मंजूरी नहीं दी थी।