कर्नाटक में 2019 के लोकसभा चुनाव दो विचारधाराओं के बीच होगा। एक तरफ़ बीजेपी राष्ट्रवाद के नाम पर धार्मिक ध्रुवीकरण के आधार पर वोट की राजनीति करेगी तो दूसरी तरफ़ विपक्ष संघीय व्यवस्था की राजनीति करेगा।
चुनाव में एक तरफ मोदी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन है, तो दूसरी तरफ़ यूपीए गठबंधन जिसमें कांग्रेस भी है। देखना है कि विपक्ष कितना एकजुट होकर मोदी के ख़िलाफ़ लड़ पाता है।
गाँधी के सपनों का आदर्श समाज न्याय प्रधान था। संघ के सपनों का आदर्श समाज अपनत्व प्रधान था। यहीं वह टकराव है। कहते हैं विचारों को नहीं मारा जा सकता है और इसीलिए गाँधी के विरोधी उनसे थर्राते हैं।
बीजेपी का ‘ऑपरेशन लोटस’ कर्नाटक में फ़्लॉप रहा। उसे आशंका है कि लोकसभा चुनावों में उसकी सीटें घटेंगी, इसलिए राज्य की सत्ता हथियाने के लिए वह इस ऑपरेशन में जुटी थी।
ख़बर है कि केंद्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय की 'नई शिक्षा नीति' ने देश भर में कक्षा आठ तक हिंदी भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाने की सिफ़ारिश की है। तो क्या हिंदी अब डंडे के बल पर चलेगी?