फ़िल्म- छपाक
डायरेक्टर- मेघना गुलज़ार
स्टार कास्ट- दीपिका पादुकोण, विक्रांत मैसी, पायल नायर, अंकित बिष्ट
शैली- ड्रामा
रेटिंग- 3/5
तेज़ाब फेंकने की वारदातें तो ख़बरों में पढ़ने और सुनने को मिल जाती हैं। ऐसा ही केस साल 2005 में हुआ था और लक्ष्मी अग्रवाल पर एसिड फेंका गया था। इसमें उनका पूरा चेहरा झुलस गया था। एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल पर डायरेक्टर मेघना गुलज़ार फ़िल्म लेकर आई है। जिसका नाम ‘छपाक’ है और यह फ़िल्म शुक्रवार यानी 10 जनवरी को रिलीज हो रही है। मेघना ‘छपाक’ से पहले ‘राज़ी’ और ‘तलवार’ जैसी दमदार फ़िल्में डायरेक्ट कर चुकी हैं। फ़िल्म ‘छपाक’ में मुख्य किरदार में दीपिका पादुकोण और विक्रांत मैसी हैं। तो आइये जानते हैं क्या है ‘छपाक’ की कहानी-
फ़िल्म की कहानी शुरू होती है साल 2012 के दिसंबर से जब निर्भया रेप केस को लेकर पूरी दिल्ली में प्रदर्शन हो रहा था। वहीं इसके कई साल पहले 19 साल की लड़की मालती (दीपिका पादुकोण) पर एक लड़के ने तेज़ाब फेंककर उसका पूरा चेहरा ख़राब कर दिया था। इसके बाद मालती ने कोर्ट में एसिड पर बैन लगाने के लिए पीआईएल दी। इसी वजह से लोगों के बीच मालती चर्चा का विषय बन गईं। दूसरी तरफ़ अमोल दीक्षित (विक्रांत मैसी) है, जो कि ‘स्टॉप एसिड वॉइलेंस’ नाम की एक संस्था चलाते हैं। जिसमें वह एसिड पीड़ित लड़कियों की मदद करते हैं।
मालती को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनके झुलसे हुए चेहरे के साथ उन्हें कोई नौकरी नहीं देता है, तो कोई उन्हें देखते ही चीखने लगता है। वहीं अमोल मालती को अपनी संस्था में नौकरी दे देते हैं। मालती का केस काफ़ी लंबा चलता है और इसमें उसकी मदद शिराज़ आंटी (पायल नायर) और वकील अर्चना (मधुरजीत सर्घी) करती हैं। मालती पर एसिड क्यों फेंका गया था? तेज़ाब से जले चेहरे के साथ मालती को क्या-क्या सहना पड़ा? कैसे मालती ने वापस से ज़िंदगी को जीना शुरू किया और आरोपियों को सज़ा मिली या नहीं? यह सब जानने के लिए आपको फ़िल्म देखनी होगी।
कौन हैं लक्ष्मी अग्रवाल?
‘छपाक’ की कहानी लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन से प्रभावित है। साल 2005 में ख़ान मार्केट के पास 32 वर्षीय व्यक्ति ने लक्ष्मी अग्रवाल पर तेज़ाब फेंक दिया था। सिंगर बनने का सपना देखने वाली लक्ष्मी की ज़िंदगी में अंधेरा छा गया। कई सर्जरी के बाद लक्ष्मी का चेहरा कुछ ठीक हुआ। हमले के एक साल बाद लक्ष्मी ने कोर्ट में एसिड पर प्रतिबंध लगाने के लिए पीआईएल दाखिल की थी। साल 2013 में कोर्ट ने एसिड बिक्री पर रोक लगाई।
इसके बाद लक्ष्मी ने अपनी ज़िंदगी को एक नए सिरे से शुरू किया और अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा बनीं। लक्ष्मी अग्रवाल को एसिड अटैक पीड़िताओं की आवाज़ बनने के लिए ‘इंटरनेशनल वुमेन ऑफ़ करेज’ से सम्मानित भी किया गया। लक्ष्मी ने लोगों को समझाया है कि सिर्फ़ चेहरे की सुंदरता सब कुछ नहीं होती बल्कि आपके किरदार से ख़ूशबू आनी चाहिए। लक्ष्मी एसिड अटैक संस्था से जुड़ी थीं वहीं उन्हें संस्था के फ़ाउंडर से प्यार हुआ था लेकिन दोनों ने शादी न करके लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने का फ़ैसला किया। दोनों नहीं चाहते थे कि शादी में लोग आकर लक्ष्मी के चेहरे पर कमेंट करें।
किरदारों की अदाकारी
एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण ने मालती के किरदार को बख़ूबी निभाया लेकिन अटैक से पहले के किरदार में थोड़ी सी ओवरएक्टिंग नज़र आई। वहीं विक्रांत मैसी ने अमोल दीक्षित का किरदार बेहतरीन तरीक़े से निभाया है। विक्रांत ने किरदार में जान डाल दी और शांत और गंभीर किरदार को बख़ूबी निभाया। पायल नायर ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय किया, तो वहीं वकील के किरदार में मधुरजीत ने भी शानदार एक्टिंग की है। ‘छपाक’ में सभी किरदारों ने बेहतरीन तरीक़े से काम किया है।
डायरेक्शन
मेघना गुलज़ार हर बार एक नए पहलू के साथ कदम रखती हैं और उनकी कहानी लोगों के दिलों को छूने में कामयाब रहती है। एसिड अटैक सर्वाइवर की कहानी को पर्दे पर पेश करना आसान नहीं रहा होगा लेकिन मेघना ने शानदार तरीक़े से इसे पर्दे पर उतारा है।
क्यों देखें फ़िल्म?
‘छपाक’ जैसी फ़िल्में आईना है कि देश में रेप के अलावा भी लड़कियों पर एक और हमला है जो लगातार जारी है। लक्ष्मी अग्रवाल ने कैसे अपनी ज़िंदगी को दोबारा शुरू किया, इस फ़िल्म में दिखाया गया है। सुंदरता के कई मायने हैं, फ़िल्म यह संदेश देती है और इसके कई दृश्य आपको भावुक कर देंगे। इसमें ज़्यादा डायलॉग नहीं है लेकिन जो हैं वे शानदार हैं। साथ ही सिंगर अरिजीत सिंह की आवाज़ में ‘छपाक’ का टाइटल ट्रैक फ़िल्म में जान डाल देता है। ऐसी फ़िल्में कम बनती हैं, एक बार ‘छपाक’ देखने ज़रूर जाएँ।
क्यों न देखें फ़िल्म?
अगर आपको एक्शन व कॉमेडी फ़िल्में पसंद हैं तो ‘छपाक’ आपके लिए बेहतर चुनाव नहीं है। ‘छपाक’ रियल लाइफ़ स्टोरी से प्रेरित है और इसमें कई ऐसे दृश्य हैं जो आपको हिला कर रख देंगे। इसके अलावा फ़िल्म का फ़र्स्ट हाफ़ थोड़ा स्लो है जिसमें आपको यह फ़िल्म काफ़ी लंबी लग सकती है।
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