वेब सीरिज: बार्ड ऑफ़ ब्लड
स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म: नेटफ्लिक्स
डायरेक्टर: रिभु दासगुप्ता
स्टारकास्ट: इमरान हाशमी, शोभिता धूलिपाला, कीर्ति कुल्हारी, जयदीप अहलावत, सोहम शाह, विनीत कुमार सिंह
रेटिंग: 3/5
फ़िल्म लीग से हटकर एक के बाद एक सीरीज़ रिलीज़ होती जा रही हैं। कभी देश की गंभीर समस्याओं को लेकर तो कभी आतंकवादी गतिविधियों को लेकर सीरीज़ बनाई जा रही है। ऐसी ही एक विषय से जुड़ी सीरीज़ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है जिसका नाम ‘बार्ड ऑफ़ ब्लड’ है। ‘बार्ड ऑफ़ ब्लड’ साल 2015 में आई लेखक बिलाल सिद्दिकी द्वारा लिखी गई किताब पर आधारित है। इस सीरीज़ का रिभु दासगुप्ता ने निर्देशन किया है और इसे गौरव वर्मा ने लिखा है। ‘बार्ड ऑफ ब्लड’ के निर्माता शाहरुख ख़ान, गौरी ख़ान और गौरव वर्मा हैं। सीरीज़ ‘बार्ड ऑफ़ ब्लड’ में इमरान हाशमी मुख्य भूमिका में हैं। आइये जानते हैं, क्या नया है इस सीरीज़ में।
बार्ड ऑफ़ ब्लड की कहानी कुछ इस तरह से शुरू होती है। कबीर आनंद (इमरान हाशमी) जो कि भारतीय ख़ुफ़िया विंग में स्पाई है और एक मिशन पर है। इस मिशन पर उसके साथी विक्रमजीत (सोहम शाह) भी है लेकिन मिशन के दौरान उसकी मौत हो जाती है। विक्रम की मौत के बाद ख़ुद को ज़िम्मेदार मानते हुए कबीर काम से पीछे हट जाता है। कुछ वक़्त के बाद ब्लूचिस्तान में 4 भारतीय ख़ुफ़िया ऑपरेटरों को कैद कर लिया जाता है और उन्हें वापस लाने के लिए सादिक शेख (राजित कपूर) कबीर को सीक्रेट मिशन पर भेजता है। इस मिशन पर कबीर के साथ ईशा खन्ना (शोभिता धूलिपाला) और वीर (विनीत कुमार सिंह) शामिल होते हैं। मिशन पर कबीर को जन्नत (कीर्ति कुल्हारी) भी मिल जाती है जिसे वह पहले से जानता है।
सीरीज़ की कहानी दिल्ली से शुरू होकर तालिबान, पाकिस्तान, ब्लूचिस्तान और केच के बीच घूमती है और इसमें मुल्ला खालिद (दानिश हुसैन) को पकड़ने की चुनौती होती है। साथ ही इसके शहजाद शेख (जयदीप अहलावत) को भी पकड़ना कबीर के लिए ज़रूरी हो जाता है। कबीर अपने दोस्त विक्रम को पहले ही खो चुका है और इसके साथ मिशन पर बड़ी ज़िम्मेदारी है 4 लोगों को बचाने की। क्या कबीर मुल्ला खालिद को पकड़ पाता है या मर जाता है। दिलचस्प यह है कि इस सीरीज़ के अंत में एक बड़ा सस्पेंस है जो आपको हैरान कर देगा। चारों भारतीय ऑपरेटर अपने वतन आ पाएँगे या नहीं, इन सभी सवालों के जवाब के लिए नेटफ्लिक्स पर 7 एपिसोड की सीरीज़ ‘बार्ड ऑफ़ ब्लड’ को देख डालिए।
इन ख़ास बिंदुओं को दर्शाती है यह सीरीज़
‘बार्ड ऑफ़ ब्लड’ में ख़ास तौर पर भारत-पाकिस्तान के राजनीतिक रिश्तों को दिखाया गया है जो कि असल में हमेशा ही तनावपूर्ण रहे हैं। इसके अलावा सीरीज़ में स्पाई की ज़िंदगी के पहलुओं पर गौर किया गया है। यह पहली सीरीज़ नहीं है जिसमें किसी स्पाई की निजी ज़िंदगी को पेश किया गया है, हाल ही में ‘द फैमिली मैन’ भी इसी पर आधारित थी और इसमें भी वही दोहराया गया है।
कलाकारों की अदाकारी
कबीर आनंद के रोल में इमरान हाशमी ने अपने किरदार को निभाया तो है लेकिन उनके फ़ैंस को उनसे जितनी उम्मीदें थीं वह उस पर खरा उतरने में नाकाम साबित हुए। इमरान हाशमी जो कि अपने किसिंग सीन्स के लिए काफ़ी चर्चित हैं उन्होंने इस पूरी सीरीज़ में एक भी ऐसे सीन नहीं दिए हैं। वहीं विनीत कुमार सिंह ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है और अंत तक उन्होंने अपने किरदार को मज़बूती से पेश किया है। कीर्ति कुल्हारी के बारे में बात करें तो भले ही एक्ट्रेस को स्क्रीन कम मिली हो लेकिन उन्होंने अपनी सादगी और एक्टिंग से दिल जीत लिया। शोभिता धूलिपाला ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। इसके अलावा सोहम शाह, राजित कपूर और जयदीप अहलावत ने भी अपने किरदारों को बेहतर तरीक़े से पेश किया है।
सीरीज़ की कमज़ोर कड़ियाँ
सीरीज़ में ज़बरदस्त एक्शन और थ्रिलर देखने को मिलेगा लेकिन इसकी कहानी को इतना घुमा दिया गया है कि कहीं-कहीं पर आप सोच में पड़ जाएँगे कि क्या चल रहा है। पहला एपिसोड देखते ही आपको पूरी कहानी समझ में आ जाएगी। अंत में एक सस्पेंस ज़रूर है, लेकिन बीच की पूरी कहानी आसानी से समझ आ जाएगी। इसकी कहानी पर डायरेक्टर द्वारा थोड़ा और काम किया जा सकता था। सीरीज़ को एकदम सीरियस ज़ोन में बनाया गया है।
क्यों देखें यह सीरीज़
बार्ड ऑफ़ ब्लड को आप इमरान हाशमी के लिए देख सकते हैं और इस सीरीज़ से उन्होंने अपना डिजिटल डेब्यू भी किया है। सबसे बड़ी चीज कि आप इसे धमाकेदार सस्पेंस, थ्रिलर और एक्शन के लिए भी देख सकते हैं, लेकिन अगर आप इसे मनोरंजन के उद्देश्य से देखने जा रहे हैं तो यह आपको बोर कर देगी। पहले चार एपिसोड तक आपको थोड़ा धैर्य रखना होगा लेकिन उसके बाद इसमें एक बड़ा सस्पेंस है जो कि सामने आएगा।
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