2002 का वाक़या है। हंगल साहब तब हाल ही में 'इप्टा' के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे। हमारी पहली मुलाक़ात थी। मैंने उनसे लंबी बातचीत की। पेश है उस बातचीत का कुछ अंश।
ए के हंगल कहते हैं ‘बात यह है कि डेट ऑफ़ बर्थ मालूम नहीं थी। फ़िल्मी पत्रकार पूछते-आपकी जन्मतिथि कब की है... मैंने कहा कोई भी डेट लिख दे। तो मैंने कह दिया- पंद्रह अगस्त। चल निकली यही डेट। मिलने लगीं फ़िल्मी बधाइयाँ। हा हा!'
ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म नेटफ्लिक्स पर फ़िल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' रिलीज़ हुई है जो कि एक बायोपिक फ़िल्म है। यह फ़िल्म शौर्य चक्र से सम्मानित पायलट 'गुंजन सक्सेना' की कहानी है।
फ़िल्म संगीतकार जयदेव की जन्म शतवार्षिकी के मौके पर सत्य हिन्दी की विशेष पेशकश। आख़िर उन्हें वह जगह क्यों नहीं मिली, जिसके हक़दार वे थे, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ।
निर्देशक के रूप में कास्टिंग डायरेक्टर हनी त्रेहन की यह पहली फ़िल्म है। फ़िल्म 'रात अकेली है' सस्पेंस से भरी हुई फ़िल्म है। जिसमें एक पुलिस वाले को हत्या का एक मामला सुलझाना है।
रामगोपाल वर्मा एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार भी विवादों की वजह उनकी फ़िल्म ही है। रामू ने एलान किया है कि वह तेलुगु फ़िल्मों के स्टार अभिनेता और जनसेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण पर फ़िल्म बना रहे हैं।
रफी को इस दुनिया से गुजरे चार दशक हो गए, लेकिन फिल्मी दुनिया में उन जैसा कोई दूसरा गायक नहीं आया। इतने लंबे अरसे के बाद भी वे अपने चाहने वालों के दिलों पर राज करते हैं।
ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म अमेज़न प्राइम पर बायोपिक फ़िल्म 'शकुंतला देवी' रिलीज़ हो गई है। ‘ह्मयूमन कंम्प्यूटर’ कही जाने वाली गणितज्ञ शकुंतला देवी का किरदार एक्ट्रेस विद्या बालन ने निभाया है।
ए आर रहमान ने कहा कि ‘हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में एक गैंग मेरे ख़िलाफ़ काम कर रहा है। क्या ऑस्कर विजेता आर रहमान और रसूल पूकुट्टी को हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री की खेमेबाज़ी को निशाना बनाया गया है?
तार्किक बातें रखने और सवाल पूछने वालों पर टूट पड़ने वाले ट्रोलों को अमिताभ बच्चन ने तगड़ा जवाब दिया है। वह इतना ज़्यादा ग़ुस्साए कि उन्होंने लिख दिया- 'ठोक दो *** को'।
फ़िल्म व थिएटर के मशहूर अभिनेता मसूद अख़्तर ने घोषणा की है कि वह उस्ताद के ऊपर बनाई अपनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म कहाँ कहाँ से गुज़रे सथ्यू की प्रस्तुतियाँ पूरे साल देश भर में करेंगे।
पिछले कुछ समय से यह देखा जा सकता है कि नसीरुद्दीन शाह अपनी फ़िल्मी दुनिया के अलावा मौजूदा राजनीति और समाज के ढर्रे पर भी बहुत मुखर होकर अपनी नाख़ुशी या नाराज़गी जताते रहते हैं।