loader

पवन कल्याण पर फ़िल्म से विवादों में आए रामगोपाल वर्मा; क्या पब्लिसिटी स्टंट है?

फ़िल्मी दुनिया में रामू के नाम से मशहूर रामगोपाल वर्मा एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं। इस बार भी विवादों की वजह उनकी फ़िल्म ही है। रामू ने एलान किया है कि वह तेलुगु फ़िल्मों के स्टार अभिनेता और जनसेना पार्टी के अध्यक्ष पवन कल्याण पर फ़िल्म बना रहे हैं। रामू ने फ़िल्म का टीज़र भी लॉन्च किया। इसी  टीज़र की वजह से रामू एक बार फिर विवादों का केंद्र बन गये। इस टीज़र के ज़रिए रामू ने साफ़-साफ़ संकेत दिया किया कि फ़िल्म पवन कल्याण के समर्थन में नहीं बल्कि उनके विरोध में बनी है। आलोचकों का कहना है कि 'पॉवर स्टार' के नाम से मशहूर पवन कल्याण का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की गयी है। ग़ौर करने वाली बात यह है कि रामू ने इस फ़िल्म को नाम दिया है 'पॉवर स्टार' और इसके कैप्शन में लिखा है, 'चुनाव के बाद की कहानी'। 

ताज़ा ख़बरें

वैसे तो रामू ने कहीं पर भी सीधे यह नहीं कहा है कि उनकी यह फ़िल्म पवन कल्याण पर आधारित है, लेकिन फ़िल्म के नाम, कैप्शन, टीज़र, प्रोमो, मुख्य किरदार के हावभाव, पहनावे आदि से साफ़ है कि यह फ़िल्म पवन कल्याण को निशाना बना रही है। फ़िल्म के टीज़र के रिलीज़ होते ही पवन कल्याण के फ़ैन्स ग़ुस्सा गये। कइयों ने सोशल मीडिया के ज़रिए रामू की निंदा शुरू की। अपशब्द कहे। कुछ ने रामू के दफ्तर पर हमला बोल दिया। रामू जो चाहते थे वही हुआ। बिना ख़र्च किये फ़िल्म को पब्लिसिटी मिल गयी। वह सुर्खियों में आ गये। आने वाली फ़िल्म की चर्चा हर तरफ़ होने लगी। जानकार कहते हैं कि फ़्री पब्लिसिटी का रामू का यह फ़ार्मूला पुराना तो है ही लेकिन कारगर भी है। 

रामू की एक और आदत है। वह राजनेताओं पर फ़िल्में बनाते ही रहते हैं। पवन कल्याण से पहले वह तेलुगु में एन. टी. रामा राव, लक्ष्मी पार्वती, चंद्रबाबू नायडू, जगनमोहन रेड्डी, वंगावीटि मोहन रंगा, परिटाला रवि को केंद्र में रखकर फ़िल्में बना चुके हैं। 

फ़िल्मों में रामू ने कई राजनेताओं की कार्यशैली, राजनीतिक साज़िशों को निशाना बनाया। इस बार उनके निशाने पर पवन कल्याण हैं।

पवन तेलुगु फ़िल्मों के सुपरस्टार चिरंजीवी के छोटे भाई हैं। जब चिरंजीवी ने 2009 के आम चुनावों से पहले अपनी ख़ुद की राजनीतिक पार्टी 'प्रजा राज्यम' बनाई थी, तब पवन उनके साथ राजनीति के मैदान में आ गए। चिरंजीवी को उम्मीद थी कि वह एन. टी. रामा राव (एनटीआर) जैसा करिश्मा करेंगे। लेकिन राजनीति में वह बुरी तरह पिट गये। 2009 में कद्दावर कांग्रेसी नेता वाई.एस. राजशेखर रेड्डी (वाईएसआर) की लोकप्रियता और राजनीतिक लहर के आगे वह राजनीति में फीके साबित हुए। लेकिन एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में वाईएसआर की अकाल मृत्यु के बाद चिरंजीवी ने अपनी पार्टी 'प्रजा राज्यम' का विलय कांग्रेस में कर दिया। इसके बदले उन्हें कांग्रेस ने राज्यसभा सदस्य बनाया और मनमोहन सिंह मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री भी। लेकिन 'प्रजा राज्यम' के कांग्रेस में विलय से पवन नाराज़ हो गए और उन्होंने अपनी ख़ुद की पार्टी जनसेना बना ली। 2014 में आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ और तेलंगाना राज्य अस्तित्व में आया। 

2014 में हुए चुनाव में पवन की पार्टी ने हिस्सा नहीं लिया लेकिन उसने बीजेपी और टीडीपी का खुलकर समर्थन किया। पवन ने नरेंद्र मोदी और चंद्रबाबू नायडू के साथ कई रैलियाँ कीं। लेकिन 2018 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा न दिए जाने से नाराज़ पवन ने मोदी का विरोध करना शुरू कर दिया। पवन पर चंद्रबाबू नायडू के इशारों पर काम करने का आरोप लगा। आरोप यह भी लगा कि उनकी चंद्रबाबू से गोपनीय साँठगाँठ भी है। 

सिनेमा से और ख़बरें

हार के बाद बीजेपी से जुड़े

2019 के चुनाव में पवन ने वामपंथी पार्टियों सीपीआई और सीपीएम से समझौता किया और पहली बार चुनाव लड़ा। जगन मोहन रेड्डी की ऐतिहासिक लहर के सामने पवन भी बुरी तरह पिट गए। उनकी पार्टी आंध्र प्रदेश विधानसभा की 175 सीटों में सिर्फ़ एक सीट पर जीत पायी। पवन ने दो जगह से चुनाव लड़ा और दोनों जगह से जगन मोहन रेड्डी के उम्मीदवारों से हार गए। इसके बाद पवन ने एक और फ़ैसला लिया जिससे उनके कई फैंस उनसे खफा हो गए। पवन ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाने और एनडीए में शामिल होने का एलान कर दिया। 

फ़िल्मी दुनिया और राजनीतिक गलियारे में कहा जा रहा है कि पवन कल्याण की राजनीतिक ग़लतियों, उनके ढुलमुल रवैये, लगातार बदलते स्टैंड, विवादास्पद बयानों को निशाने बनाने की कोशिश में रामू फ़िल्म बना रहे हैं।

ख़ास बात यह कि रामू राजनेताओं को आड़े हाथों लेने से पीछे नहीं हटते हैं, चूँकि वह हर पार्टी के नेताओं पर निशाना साधते हैं इसी वजह से उन्हें किसी पार्टी विशेष से जोड़कर देखा नहीं जाता है। 

याद रहे रामू हिंदी में अंडरवर्ल्ड और बड़े-बड़े माफियाओं के अलावा एनकाउंटर स्पेशलसिस्ट पर भी फ़िल्में बना चुके हैं। वह 'ट्रेंड सेटर' और वीरप्पन और डी कंपनी पर फ़िल्में बनाकर बॉलीवुड में नया ट्रेंड सेट कर चुके हैं। इस बार उनके निशाने पर पवन कल्याण हैं। पवन के लाखों फॉलोवर हैं। वे कापू जाति से हैं और इस वजह से इस जाति के लोगों में भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। राजनेता हैं और फ़िलहाल बीजेपी के साथ हैं। इस वजह से भी कई लोगों को फ़िल्म का इंतज़ार है, लेकिन टीज़र आने से साफ़ है कि फ़िल्म में पवन की जमकर 'पैरोडी' हुई है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
दक्षिणेश्वर

अपनी राय बतायें

सिनेमा से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें