क्या अरुण जेटली नरेंद्र मोदी के लिए इतने अपरिहार्य हैं कि उन्हें ज़िम्मेदारी से हटाया नहीं जा सकता या वित्त मंत्रालय इतना मामूली है, कि प्रधानमंत्री वहां किसी का होना ज़रूरी नहीं मानते?
चुनाव से पहले सरकार दो लाख करोड़ के ‘फ़्री गिफ़्ट’ बाँट सकती है। ये तोहफ़े ख़ास कर किसानों और मध्य वर्ग को दिए जाने वाले हैं क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि ये दो वर्ग सरकार से बहुत नाराज़ हैं।
'वाईब्रेंट गुजरात' को मेगा इवेेंट के रूप में पेश किया जाता है और इसे नरेंद्र मोदी की बड़ी कामयाबी बताया जाता है, पर बस वही चीज नहीं है जो इसका मक़सद है और वह विदेश पूँजी निवेश।
चुनाव से पहले की सरकारी तैयारियों के क्रम में एक लोक-लुभावन ख़बर छपी है जो आयकर सीमा बढ़ाने के बारे में है। इसका क्या मक़सद हो सकता है? सरकार को कितना लाभ होगा और होगा भी कि नहीं?
मध्यम वर्ग और किसानों की नाराज़गी दूर करने के लिए चुनाव के पहले केंद्र सरकार कुछ लोकलुभावन फ़ैसले कर सकती है, ताकि वह उनसे मुखातिब होकर उनसे वोट माँग सके।
जीएसटी परिषद ने व्यापारियों को दी जाने वाली छूट को दुगना कर उच्चतम सीमा 40 लाक रुपये कर दिया, यानी अब 40 लाख रुपये तक के व्यापार करने वालोें को जीएसटी रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
इस वित्तीय साल के अंत तक वायु सेना को हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 20 हज़ार करोड़ देने होंगे, जिसमें सात हज़ार करोड़ पिछले साल का है। यानी एचएएल में आर्थिक तंगी है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के प्रोजेक्ट-ट्रैकिंग डेटाबेस के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक़ देश में घरेलू निवेश 14 साल के निचले स्तर पर है। इसके अलावा रोज़गार पर भी बुरा असर पड़ा है।
रिज़र्व बैंक ने छह सदस्यों की समिति बनाई जो तय करेगी कि कैपिटल रिज़र्व कितना हो। इसकी रिपोर्ट के आधार पर चुनाव के पहले सरकार को मिल सकते हैं अरबों रुपये।
एआईएमआईएम प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी ने यूपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि पुलिस कांवड़ियों पर तो फूल बरसाती है, पर मुसलमानो को नमाज़ की भी इजाज़त नहीं देती है।
जीएसटी (वस्तु और सेवा कर) को आम तौर पर छोटे कारोबारों के लिए नुक़सानदेह माना जाता है। इसके कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिनसे छोटे कारोबारी को काम मिलना काफ़ी मुश्किल हो जाता है।
जीएसटी काउंसिल की बैठक में सिनेमा टिकट, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, टायर, एलईडी टीवी, लिथियम बैटरी, फ़ुटवेयर आदि पर भी जीएसटी की दरें घटाने का फ़ैसला किया गया है।
लगता नहीं कि 'कॉल ड्रॉप' की समस्या से जल्दी कोई राहत मिलेगी, हालाँकि देश के सभी मोबाइल ऑपरेटरों के ग्राहकों में 'कॉल ड्रॉप' को लेकर असंतोष बढ़ता जा रहा है।