कश्मीर में आतंकवाद का चेहरा तेज़ी से बदल रहा है। आतंकवादी अब वहाँ शरीअत क़ानून लागू करने और इसलामी राज्य स्थापित करने की बात कर रहे हैं। क्या है मामला? सत्य हिन्दी के लिए प्रमोद मल्लिक का विश्लेषण।
जिन कश्मीरियों की बेहतरी और ख़ुशियों के नाम पर अनुच्छेद 370 में फेरबदल किया गया वे ईद की ख़ुशियाँ मना भी पाएँगे या नहीं, इस पर संदेह है। ईद के दिन सुरक्षा में ढील दी जाएगी या नहीं, इस पर रविवार को फ़ैसला लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को संबोधित कर कहा कि अनुच्छेद 370 हटते ही कश्मीर में विकास की गंगा बहने लगेगी और कश्मीर फिर से स्वर्ग हो जाएगा। लेकिन क्या कश्मीर के लोग प्रधानमंत्री की बात से संतुष्ट हैं?
संविधान के अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने इससे जुड़ा एक प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया। क्या है मुख्य बातें?
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफ़ारिश किए जाने के बाद पीडीपी नेता और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन क़रार दिया है।
श्रीनगर पुलिस ने 5 पुलिस सुपरिटेंडेंट से कहा गया है कि वे अपने-अपने इलाक़े के मसजिदों के बारे में पूरी जनकारी इकट्ठी करें। यह फ़ैसला ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार ने सुरक्षा बलों के 10 हज़ार अतिरिक्त जवानों को वहाँ भेजा है।
जम्मू-कश्मीर में चल रहे आतंकवाद में एक नया और अधिक ख़तरनाक ट्रेंड यह उभर रहा है कि अब स्थानीय कश्मीरी युवक बड़ी तादाद में आतंकवाद का रास्ता चुन रहे हैं। क्या है इसकी वजह?
क्या राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति आतंकवादियों को हत्या करने के लिए उकसा सकता है! वह भी वैसे लोगों की हत्या के लिए जो राजनेता, अफ़सर या पूर्व नौकरशाह हों।