महाराष्ट्र के बाद केरल ने भी रेलवे की ओर से ट्रेनें भेजे जाने के तरीक़े को लेकर आपत्ति जताई है। केरल सरकार ने कहा है कि रेलवे द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के ट्रेनें भेजे जाने के कारण कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ चल रहा उसका कार्यक्रम गड़बड़ा सकता है। ट्रेनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार की पश्चिम बंगाल से भी तनातनी हो चुकी है।
केरल सरकार के वित्त मंत्री थामस इसाक ने आरोप लगाया है कि रेलवे केरल में कोरोना का 'सुपर स्प्रेडर' यानी इसे ख़ूब फैलाने वाला बनना चाहता है।
इसाक ने ट्वीट कर कहा, ‘हमें तब बताया गया, जब ट्रेन चल चुकी थी। इसके स्टॉप निर्धारित नहीं थे। ज़्यादातर लोगों के पास पास नहीं थे। महामारी के दौरान भी निरंकुशता।’
इससे पहले मंगलवार को मुख्यमंत्री पी. विजयन ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री ने कहा है, ‘केरल को उनके लोगों के वापस आने से कोई परेशानी नहीं है लेकिन पहले से सूचना नहीं होने के कारण राज्य सरकार का कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ चल रहा अभियान पटरी से उतर सकता है।’
विजयन ने कहा, ‘मुंबई से बिना किसी सूचना के ट्रेन आती है। मैंने इस बात को रेल मंत्री के सामने रखा था। लेकिन उसके बाद बिना राज्य को सूचना दिए एक और ट्रेन केरल भेज दी गई।’ उन्होंने कहा कि हमें एडवांस में सूची चाहिए जिससे हम स्क्रीनिंग और होम क्वारेंटीन की बेहतर व्यवस्था कर सकें।
महाराष्ट्र से केरल वापस लौटे लोगों में से 72 लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। इस वजह से राज्य सरकार चाहती है कि रेलवे ट्रेनों को लेकर सतर्कता बरते और उसे पहले ही इसकी सूचना भेज दे।
केरल देश के उन राज्यों में शीर्ष पर है जिन्होंने कोरोना वायरस के इन्फ़ेक्शन को फैलने से रोकने में शानदार काम किया है। चीन में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने के तुरंत बाद केरल ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी थी और अभी तक राज्य में संक्रमण के 896 ही मामले सामने आए हैं।
ट्रेन चलाए जाने को लेकर केंद्र सरकार का कई राज्यों से आमना-सामना हो चुका है। महाराष्ट्र के मामले को देखें तो रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि वहां से ट्रेन खाली लौटी हैं जबकि राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार इस मामले में झूठ बोल रही है। दूसरी ओर, मुंबई के रेलवे स्टेशनों में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर घर जाने के लिए ट्रेनों का इंतजार कर रहे हैं।
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