पिछले कुछ सालों में जिस तरह राजद्रोह से संबंधित धारा 124A का दुरुपयोग हुआ है उससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या हमें इसके बारे में फिर से विचार करने की ज़रूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराया है। कोर्ट ने हुए उन्हें एरिक्सन इंडिया को चार हफ़्ते में 453 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है।
अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के 14 छात्रों के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुक़दमा दर्ज होने के साथ ही यह सवाल एक बार फिर सुर्खियों में है कि देशद्रोह आखिर क्या है।
सुप्रीम कोर्ट ने एम. नागेश्वर राव को अदालत की अवमानना का दोषी पाया है। राव को कोर्ट के उठने तक खड़ा रहना पड़ेगा और उन पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के मामले को लेकर जस्टिस संजय कृष्ण कौल ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई समेत कॉलिजियम को एक पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज़ कराई है।
दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज कैलाश गंभीर ने सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के मसले पर कॉलिजियम के फ़ैसले को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चिट्ठी लिखी है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को राहत नहीं दी है। कोर्ट ने राकेश अस्थाना की याचिका खारिज कर दी है। अस्थाना ने घूसखोरी के आरोपों के तहत दर्ज़ प्राथमिकी को खारिज करने की अपील की थी।
आलोक वर्मा को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है और वह सीबीआई निदेशक के पद पर बने रहेंगे। आलोक वर्मा ने उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सब कुछ जानने वाली बीजेपी सरकार को यह पूछा जाना चाहिए कि पति के जेल जाने के बाद उसकी बीबी और उसके बच्चे क्या खाएंगे। क्या वह सिर्फ मुसलमानों को परेशान करना चाहती है?
तीन तलाक़ से जुड़े विधेयक से तीन साल की सज़ा के प्रावधान को हटाने के मुद्दे पर सरकार और कांग्रेस आमने-सामने हैं। दोनों ही अड़े हुए हैं और पीछे हटने को बिल्कुल तैयार नही हैं।
सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ मामले में पूरे 13 साल बाद आए फ़ैसले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया गया है। बरी किए गए लोगों में से ज़्यादातर पुलिसकर्मी हैं।
नैशनल हेरल्ड मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कांग्रेस को इसकी बिल्डिंग को 2 हफ़्ते में खाली करने का आदेश दिया है। फ़ैसले से एसोसिएट जनरल लिमिटेड (एजेएल) को करारा झटका लगा है।
सोहराबुद्दीन शेख-प्रजापति मुठभेड़ मामले में महाराष्ट्र की सीबीआई की विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है। केस में किसी तरह की साज़िश की बात साबित नहीं हुई।