कांग्रेस पार्टी ने संकेत दिया है कि वह उत्तर प्रदेश में अगला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता पी.एल. पुनिया ने कहा, 'गठबंधन महत्वपूर्ण नहीं है। हमारे कार्यकर्ता तैयार हैं। हमने अब तक किसी साझेदार से बात नहीं की है।' शुक्रवार की रात सप-बसपा की बैठक के बाद यह साफ़ हो गया कि ये दोनों दल आपसी तालमेल कर चुनाव लड़ेंगे, पर उसमें कांग्रेस को शामिल करना नहीं चाहते।
कल रात बीएसपी सुप्रीमो मायावती और सपा के नेता अखिलेश यादव के बीच देर तक बैठक चलती रही। इस बैठक में यह बात उभर कर आई कि वे कांग्रेस पार्टी को लेकर साथ चलने को लेकर बहुत इच्छुक नहीं हैं। दोनों ही दल कांग्रेस पार्टी से नाखुश हैं और उसके साथ चुनावी गठबंधन करना नहीं चाहते। समाजवादी पार्टी के बड़े नेता और नंबर दो समझे जाने वाले रामगोपाल यादव ने मामले को हल्का करने की कोशिश की। उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि कांग्रेस को गठबंधन में शामिल नहीं करने की बात काल्पनिक है। पर शनिवार को सब कुछ साफ़ हो गया।
कांग्रेस से नाराज़ अखिलेश
सपा के प्रमुख नेता अखिलेश यादव कांग्रेस से नाराज़ हैं। उनकी यह नाराज़गी मध्य प्रदेश सरकार बनने के समय बाहर आ ही गई थी। उन्होंने अपने विधायक को कमलनाथ सरकार में शामिल नहीं करने पर कहा था कि हमने उन्हें बहुमत हासिल करने में मदद की, पर उन्होंने हमारी नहीं सुनी। इसी तरह मायावती ने अपने दो विधायकों को मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को समर्थन देने का एलान तो कर दिया, पर शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहीं। अखिलेश भी उसमें शामिल नहीं हुए थे।मोदी के ख़िलाफ़ सबउत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रमुख महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में मोदी बनाम सारे नेता का चुनाव होने जा रहा है। सपा-बसपा चाहें तो कांग्रेस के साथ मिल जाएँ, हम बीजेपी का साथ जनता के साथ है।]
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