लोकसभा चुनाव का आख़िरी चरण का मतदान होना अभी बाक़ी है, लेकिन दक्षिण में केंद्र की नयी सरकार को लेकर सरगर्मी तेज़ हो गयी है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) की कोशिश है कि एक ग़ैर बीजेपी और ग़ैर कांग्रेस वाला तीसरा मोर्चा बनाया जाए। केसीआर जैसे दक्षिण के कई नेता यह मानते हैं कि इस बार लोकसभा त्रिशंकु होगी और न ही एनडीए और न ही यूपीए को बहुमत मिलेगा। ऐसी स्थिति में एक नये मोर्चे/गठबंधन के अस्तित्व में आने और फिर सत्ता संभालने की संभावना बनती है। कई नेताओं को लगता है कि देश में एक बार फिर 1996 वाली स्थिति बनेगी।
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सूत्र बताते हैं कि केसीआर ने फ़ेडरल फ़्रंट के नाम से तीसरे मोर्चे की पहल इस वजह से की है क्योंकि उनकी नज़र प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है। सूत्रों की मानें तो केसीआर अपने बेटे के. तारक रामा राव को तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनाकर ख़ुद केंद्र की राजनीति में आना चाहते हैं।
फ़ेडरल फ़्रंट के नाम पर केसीआर ने इस बार 'दक्षिण से प्रधानमंत्री' की मुहिम भी शुरू की है। अगर दक्षिण की मौजूदा स्थिति पर नज़र डाली जाए तो केसीआर के सिवाय कोई दूसरा नेता प्रधानमंत्री पद की दावेदारी करता हुआ नज़र नहीं आ रहा है।
कुछ विश्लेषक यह मानते हैं कि केसीआर मौजूदा राजनीतिक हालात का पूरा फायदा उठाते हुए त्रिशंकु लोकसभा की स्थिति में प्रधानमंत्री पद की अपनी दावेदारी मजबूत करने में लगे हुए हैं। उन्हें जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और वामपंथी पार्टियों का समर्थन मिलता नज़र आ रहा है। लेकिन डीएमके के स्टालिन और जेडीएस के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा, दोनों फिलहाल यूपीए से बाहर आकर किसी अन्य मोर्चे को समर्थन देने के पक्ष में नहीं हैं। इसी वजह से केसीआर की कोशिश को झटका लगा है। लेकिन उनकी कोशिश जारी है।
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि दक्षिण से भले ही प्रधानमंत्री/किंग न बन पाए, लेकिन दक्षिण के नेता किंगमेकर ज़रूर बनेंगे। दक्षिण के सभी पाँच राज्यों - आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में मतदान हो चुका है। दक्षिण भारत के पाँच राज्यों और एक केंद्र शाषित प्रदेश से लोकसभा की 130 सीटें हैं।
अब तक मिले संकेतों और ओपिनियन पोल के नतीजों के मुताबिक़, दक्षिण में केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति, जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और स्टालिन की डीएमके को अच्छी-ख़ासी सीटें मिलेंगी।
केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को इस बार बहुमत न मिलने की स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की नज़र केसीआर और जगन मोहन रेड्डी पर रहेगी क्योंकि इन दोनों के पास कम से कम 30 और ज़्यादा से ज़्यादा 37 सीटें होने का अनुमान है। अगर एनडीए को बहुमत के लिए 30 से ज़्यादा सीटों की ज़रूरत पड़ी तब उसकी मुश्किलें काफ़ी बढ़ जाएँगी और तब उसे स्टालिन से मदद की उम्मीद करनी पड़ेगी।
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राजनीतिक जानकार बताते हैं कि दक्षिण की ज़्यादातर क्षेत्रीय पार्टियाँ केंद्र में ग़ैर-बीजेपी और ग़ैर-कांग्रेस सरकार ही चाहती हैं। बहरहाल, इतना तय है कि त्रिशंकु लोकसभा होने की स्थिति में दक्षिण का कोई भी नेता देश का प्रधानमंत्री हो सकता है, अगर न भी हुआ तो केसीआर, जगन मोहन रेड्डी, स्टालिन और देवेगौड़ा किंगमेकर ज़रूर बनेंगे।
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