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क्या चुनाव प्रचार के दौरान नर्वस हैं नरेंद्र मोदी?

चुनाव प्रचार के तेज़ी से गिरते स्तर के बीच भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ अभद्र भाषा का प्रयोग किया है और आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुई एक चुनाव रैली में ख़ुद को पीड़ित साबित करने की कोशिश करते हुए कहा कि उन्हें कांग्रेस पार्टी ने जम कर गालियाँ दी हैं और उनकी माँ के लिए भी अपशब्द कहे गए हैं। इसके बाद से ही यह सवाल उठने लगा है कि क्या नरेंद्र मोदी ने लोगों की सहानुभूति बटोरने के लिए ऐसा कहा या वह घबराए हुए हैं। कहीं यह घबराहट चुनाव में पार्टी के संभावित खराब प्रदर्शन की आशंका से तो नहीं है, यह सवाल भी पूछा जाने लगा है।

एक कांग्रेसी नेता ने मुझे गंदी नाली का कीड़ा कहा, एक दूसरे ने मुझे पागल कुत्ता कहा तो किसी और ने भष्मासुर बताया। एक पूर्व विदेश मंत्री ने मुझे बंदर कहा तो एक दूसरे मंत्री ने दाऊद इब्राहीम से मेरी तुलना कर दी।


नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उनकी तुलना हिटलर और मुसोलिनी से भी की गई।
मोदी ने अपनी माँ के प्रति अभद्र टिप्पणी के बारे में कहा, ‘मेरी माँ को गालियाँ दी गईं और पूछा गया कि मेरे पिता कौन थे और यह सब मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद हुआ।’
याद दिला दें कि कुछ दिन पहले खुद नरेंद्र मोदी ने राजीव गाँधी की आलोचना करते हुए उनकी मौत का मजाक उड़ाया था। उन्होंने एक जनसभा में कहा था, 'राजीव गाँधी के दरबारियों ने गाजे बाजे के साथ उन्हें मिस्टर क्लीन की उपाधि दे दी, पर उनका जीवन भ्रष्टाचारी नंबर एक के रूप में ख़त्म हुआ।' याद रहे कि राजीव गाँधी की हत्या लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम के आतंकवादियों ने कर दी थी। पेरमंबुदूर की एक चुनाव सभा में धनु नामक तमिल महिला उनके पास तक पहुँच गई और खुद को विस्फोटकों से उड़ा दिया था। राजीव पर बोफ़ोर्स सौदे में दलाली लेने का आरोप लगाया गया था।
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मोदी की इस टिप्पणी की काफ़ी आलोचना हुई थी। यह कहा गया था कि मोदी को कम से कम किसी की मृत्यु के प्रति इस तरह संवेदनहीन नहीं होना चाहिए, ख़ास कर तब जब वह आदमी आतंकवादी हमले में मारा गया हो और देश का पूर्व प्रधानमंत्री भी हो।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि मोदी उस आलोचना का जवाब देने के लिए दावा कर रहे हैं कि उन्हें इससे भी अधिक बुरी गालियाँ दी गई थीं।

लेकिन कुछ पर्यवेक्षक मोदी के इस दावे को उनकी एक रणनीति के रूप में भी देखते हैं। इन लोगों का मानना है कि मोदी चुनाव के नतीजों को लेकर बेहद घबराए हुए हैं और इस तरह की बातें कह रहे हैं ताकि बाकी के दो चरणों में लोग उन्हें सहानुभूति से वोट डालें।
याद दिला दें कि गुजरात विधानसभा चुनाव के ठीक दो-तीन पहले उन्होंने कहा था कि वह ग़रीब घर के हैं और इसलिए लोग उन्हें माँ के बारे में अपमानजक बातें कहते हैं। मोदी ऐसा कह कर रो पड़े थे।

लेकिन अभद्र टिप्पणी करने के मामले में स्वयं मोदी आगे रहते हैं। उन्होंने इस चुनाव में भी कई बार सीमाएँ लाँघी हैं।

डिस्लेक्सिया बीमारी को राहुल-सोनिया से जोड़ा

इस साल मार्च में डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के लिए एक योजना का जिक़्र आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राहुल गाँधी की तरफ़ मोड़ दिया था। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2019 कार्यक्रम के दौरान वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में एक छात्रा प्रधानमंत्री को डिस्लेक्सिया की बीमारी से पीड़ित बच्चों के लिए एक योजना के बारे में बता रही थी। लेकिन प्रधानमंत्री ने छात्रा को बीच में ही रोकते हुए पूछा था, 'क्या किसी 40-50 साल के बच्चे के लिए भी यह योजना काम आएगी?।’ अगर ऐसा हुआ तो तब तो ऐसे बच्चों की माँ बहुत ख़ुश हो जाएगी। प्रधानमंत्री के बयान को लेकर जनता की ओर से सोशल मीडिया पर काफ़ी कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई थी।

बीके हरिप्रसाद को कहा था 'बिके'

पिछले साल अगस्त में राज्यसभा में उपसभापति के चुनाव को लेकर एनडीए उम्मीदवार हरिवंश की जीत पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, 'अब सब कुछ 'हरि' भरोसे है। दोनों पक्षों के प्रत्याशियों के नाम में 'हरि' जुड़ा है। ये चुनाव था जहाँ दोनों तरफ हरि थे, लेकिन एक तरफ बीके थे, उनके आगे बीके था, बीके हरि... कोई ना बिके। हरिवंश के सामने कोई 'बिके' नहीं।' इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से बीके हरिप्रसाद उम्मीदवार थे। मोदी ने जिस तरह बीके हरिप्रसाद को ‘बिके’ कहकर संबोधित किया था उसका विपक्षी सदस्यों ने जोरदार विरोध किया था। तब पीएम की टिप्पणी को राज्यसभा की कार्यवाही से हटाना पड़ा था। विपक्षी सदस्यों ने दावा किया था कि संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रधानमंत्री की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाना पड़ा।

सोनिया को कहा था विधवा!

पीएम मोदी ने पिछले साल 4 दिसंबर को जयपुर में एक चुनावी रैली में कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों को लेकर हल्ला बोला था। इसी दौरान वह विधवा पेंशन स्कीम का हवाला दे रहे थे। मोदी ने कहा था, ‘कांग्रेस के शासन के दौरान सरकारी सूचियों में हज़ारों ‘विधवाओं’ के नाम दर्ज़ थे लेकिन हक़ीक़त में उनका कोई वजूद ही नहीं था और पैसा इन विधवा खातों में जाता था।’ तब यह माना गया था कि यह बयान उन्होंने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी को लेकर दिया है।
अभद्र भाषा का प्रयोग बीजेपी और विपक्ष दोनों ने ही एक दूसरे के लिए किया है, दोनों ने मर्यादा का उल्लंघन किया है, दोनों ने सीमाएँ तोड़ी हैं। लेकिन आज यह मुद्दा उठा कर मोदी खुद को पीड़ित साबित करना चाहते हैं, खुद की दी हुई गालियों को उचित ठहराने की कोशिश की है और विपक्ष को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या वे नर्वस हैं। क्या वे चुनाव नतीजों की संभावना से डरे हुए हैं। इन सवालों का जवाब कुछ दिन बाद ही मिल पाएगा। 
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क़मर वहीद नक़वी

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