चुनाव नतीजे आने से पहले ही ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर घमासान मचा हुआ है। इस मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में 22 विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं ने मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाक़ात की। उन्होंने माँग की हर बूथ पर रखे गए 5 प्रतिशत वीवीपैट के वोटों की गिनती पहले की जाए और उनका मिलान ईवीएम मशीनोें के नतीजों से किया जाए। इसके ठीक पाए जाने के बाद ही आगे की गिनती हो।
इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के राजबब्बर, गुलाम नबी आजाद, अभिषेक मनु सिंघवी, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, आप नेता अरविंद केजरीवाल, द्रमुक नेता कनिमोझी, भाकपा के डी. राजा और तृणमूल कांग्रेस के नेता शामिल थे।
विपक्षी दलों के इन नेताओं ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन सौंपा। इसमें माँग की गई है कि यदि ईवीएम में किसी तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाए तो पूरे क्षेत्र के सभी बूथों पर लगे सभी वीवीपैट के पेपर ट्रेल यानी काग़ज़ की पर्ची की गिनती हो।
चुनाव आयोग ने बाद में ट्वीट कर कहा कि राजनीतिक दलों को पूरी प्रक्रिया और पूरा प्रोटोकॉल कई बार बताया जा चुका है। आयोग ने इसके पहले ईवीएम से छेड़छाड़, उन्हें रखे जाने की जगह और दूसरी बातों से जुड़े तमाम आपत्तियों को खारिज करते हुए उन्हें बेबुनियाद क़रार दिया था।
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने कुछ तकनीकी विशेषज्ञों की इस माँग को खारिज कर दिया था कि सभी ईवीएम के नतीजों का मिलान वीवीपैट से किया जाए।
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चुनाव आयोग ने कहा कि वह इस मुद्दे पर खुले दिमाग से विचार करेगा। आयोग ने हमारी बातें ध्यानपूर्वक एक घंटे तक सुनने के बाद कहा कि कल यानी बुधवार को इस मुद्दे पर बैठक होगी और कोई फ़ैसला लिया जाएगा। हम तो सिर्फ़ यह माँग कर रहे हैं कि सभी वीवीपैट के वोटों की गिनती की जाए।
अभिषेक मनु सिंघवी, नेता, कांग्रेस
बता दें कि कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम और तेलगु देशम समेत कुल 21 पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर माँग की थी कि ईवीएम के 50 फ़ीसदी नतीजों का वीवीपैट (वोटर वैरिफ़ाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) से मिलान किया जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। लेकिन ऐसी संभावना है कि विपक्षी दल आयोग के सामने एक बार फिर अपनी इसी माँग को रख सकते हैं। पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर लगातार ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं जिनसे ईवीएम की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। हाल ही में एक अंग्रेजी पत्रिका में ख़बर छपी थी कि पिछले कुछ सालों में 19 लाख ईवीएम ग़ायब हो चुकी हैं यानी इनका कोई रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है।
नायडू के अलावा, प.बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी एग्ज़िट पोल और ईवीएम को लेकर फिर से सवाल उठाए हैं। बता दें कि लगभग सभी एग्ज़िट पोल्स में एनडीए को पूर्ण बहुमत की बात कही गई है।
ग़ाज़ीपुर में सोमवार रात को ईवीएम को लेकर जमकर हंगामा हुआ। गठबंधन के उम्मीदवार अफ़ज़ाल अंसारी ने ईवीएम को बदलने की कोशिश का आरोप लगाया और अपने समर्थकों के साथ स्ट्रॉन्ग रूम के बाहर धरना दिया। यहाँ से केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा बीजेपी के उम्मीदवार हैं और उनका अफ़ज़ाल अंसारी से कड़ा मुक़ाबला है। सोमवार को ही बिहार में आरजेडी-कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सारण और महाराजगंज सीट के एक स्ट्रांग रूम के बाहर ईवीएम से भरे एक ट्रक को पकड़ा और उसे अंदर नहीं जाने दिया। आरजेडी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ईवीएम से भरे ट्रक का फ़ोटो भी ट्वीट किया है। ट्वीट में कहा गया है कि उस समय मौक़े पर इलाक़े के बीडीओ भी मौजूद थे, जो इस बारे में पूछने पर कोई जवाब नहीं दे पाए।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी ने ट्वीट कर कहा है कि चुनाव आयोग लोगों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब क्यों नहीं दे रहा है।
ईवीएम पर लंबे अरसे से सवाल उठते रहे हैं। कर्नाटक से लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, और गुजरात तक और निकाय चुनाव से लेकर लोकसभा चुनावों तक में ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं।विपक्षी दलों के नेता चुनाव आयोग से ईवीएम को हटाकर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की माँग कर चुके हैं। चंद्रबाबू नायडू ने तो यह आरोप भी लगाया था कि रूस में बैठे लोग लोकसभा चुनाव में इस्तेमाल हो रही ईवीएम हैक कर रहे हैं। लेकिन आयोग ने इन सभी दलों की माँग को यह कहकर नकार दिया था कि ईवीएम हैक प्रूफ़ है और इसमें छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
2009 मे बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने प्रेस कांफ़्रेंस कर कहा था कि ईवीएम फ़ुलप्रूफ़ नहीं है और मशीनों में छेड़छाड़ कर चुनावों को प्रभावित किया जा सकता है। पार्टी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने ईवीएम में धांधली को लेकर एक किताब भी लिखी थी।
ईवीएम को हैक करने का दावा
आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने 2017 में दिल्ली विधानसभा में ईवीएम को हैक करने का दावा किया था, इससे पूरे देश में तहलका मच गया था। लेकिन चुनाव आयोग ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि वह मशीन चुनाव आयोग की ईवीएम से सिर्फ़ देखने में मिलती-जुलती है, लेकिन उसके फ़ीचर ईवीएम जैसे नहीं हैं। इसलिए ईवीएम हैक करने का दावा ग़लत है।लोकसभा चुनाव के लगभग सभी चरणों में कई जगहों पर ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायतें आई हैं। इससे पहले भी लगभग हर चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ी की ख़बरें आती रही हैं। ऐसे में चुनाव आयोग की ओर से निष्पक्ष चुनाव कराने के दावे पर स्वाभाविक रूप से सवाल खड़े होते हैं।
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