बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने की कोशिशों में जोरशोर से जुटे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने नतीजे आने से पहले ही अपनी तैयारियाँ तेज़ कर दी हैं। नायडू ने इस सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मुलाक़ात की है। नायडू ने बीएसपी प्रमुख मायावती और एसपी प्रमुख अखिलेश यादव से भी मुलाक़ात की है। टीडीपी अध्यक्ष नायडू मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी से भी मिल चुके हैं। बताया जा रहा है कि इस दौरान भी उन्होंने बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए नतीजे आने के बाद बनने वाली परिस्थितियों को लेकर सरकार बनाने की संभावनाओं पर चर्चा की है। नायडू ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख (शरद पवार) और लोकतांत्रिक जनता देल के प्रमुख शरद यादव से मिलकर चुनाव बाद की परिस्थितियों पर चर्चा की है।
बता दें कि नायडू विपक्षी दलों की एकजुटता को लेकर बेहद मुखर रहे हैं और वह कहते रहे हैं कि नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदख़ल करने और बीजेपी को हराने के लिए यह बेहद ज़रूरी है। नायडू विपक्षी दलों के नेताओं को जोड़ने में लगातार जुटे हुए हैं।
ज़्यादातर चुनावी सर्वेक्षण इस बात की संभावना जता रहे हैं कि इस बार एनडीए की सत्ता में वापसी मुश्किल है। इसके बाद से ही कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल केंद्र से बीजेपी सरकार को हटाने की क़वायद में जुट गए हैं। नायडू के अलावा यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी भी विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटी हुई हैं।
कांग्रेस की तरफ़ से प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गाँधी के नाम पर अगर क्षेत्रीय दलों में सहमति नहीं बनेगी तो तीसरे मोर्चे के नेताओं को भी मौक़ा मिल सकता है। इस बात के संकेत ख़ुद कांग्रेस महासचिव ग़ुलाम नबी आज़ाद दे चुके हैं। आज़ाद ने कहा था कि चुनाव नतीजे के बाद अगर उनकी पार्टी को प्रधानमंत्री पद की पेशकश नहीं की गई तो कांग्रेस इसे मुद्दा नहीं बनाएगी।
आज़ाद ने यह भी कहा कि कांग्रेस का एकमात्र लक्ष्य बीजेपी सरकार को सत्ता से हटाना है। हालाँकि बाद में उन्होंने अपने बयान पर यू-टर्न भी ले लिया था लेकिन इतना तय है कि बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस को तीसरे मोर्चे को समर्थन देने में कोई परेशानी नहीं होगी।
शुक्रवार को हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में राहुल गाँधी ने भी चुनाव नतीजे आने के बाद गठबंधन बनाने का संकेत दिया था। एक सवाल के जवाब में राहुल ने कहा था कि विचाराधारा के स्तर पर मायावती, मुलायम सिंह, ममता और चंद्रबाबू नायडू बीजेपी को सपोर्ट नहीं करेंगे।
बता दें कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के मुद्दे पर नायडू ने एनडीए छोड़ दिया था। उसके बाद से ही नायडू नरेंद्र मोदी पर ख़ासे हमलावर रहे हैं। नायडू ने फ़रवरी में इस मुद्दे पर दिल्ली स्थित आंध्र भवन में एक दिन की भूख हड़ताल भी की थी। तब नायडू को कई विपक्षी दलों का साथ मिला था। इससे पहले ममता बनर्जी की कोलकाता में हुई रैली में भी सभी विपक्षी नेता पहुँचे थे। नायडू कई बार कह चुके हैं कि मोदी देश पर शासन करने लायक नहीं हैं।
नायडू के अलावा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव भी विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में जुटे हैं। केसीआर ने तेलंगाना का मुख्यमंत्री बनने के बाद केंद्र में ग़ैर-बीजेपी और ग़ैर-कांग्रेस मोर्चा बनाने की कवायद तेज़ कर दी थी।
केसीआर फ़ेडरल फ़्रंट बनाना चाहते हैं और इस सिलसिले में वह डीएमके प्रमुख स्टालिन से लेकर तमाम नेताओं से मुलाक़ात कर चुके हैं। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी फ़ेडरल फ़्रंट के पक्ष में बताए जाते हैं।
कुल मिलाकर नायडू ने ‘बीजेपी आउट’ मिशन को लेकर जोर-शोर से तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ज़्यादातर क्षेत्रीय पार्टियाँ केंद्र में ग़ैर बीजेपी, ग़ैर कांग्रेसी सरकार चाहती हैं। इसलिए, नायडू से लेकर केसीआर और ममता से लेकर मायावती और अखिलेश तक बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के नाम पर एकजुट हो सकते हैं। हालाँकि केसीआर कह चुके हैं कि वह कांग्रेस से समर्थन ले लेंगे, लेकिन उसे ड्राइविंग सीट नहीं देंगे। लेकिन इससे इन दलों का बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने का सपना ज़रूर पूरा हो सकता है।
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