loader

एमपी: दो और विधायक आए शिवराज सरकार के साथ

थोकबंद कांग्रेस विधायकों को तोड़ते हुए कमलनाथ की सरकार गिराकर सत्ता हथियाने वाली मध्य प्रदेश बीजेपी शिवराज सरकार को बचाये रखने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। विधानसभा की 28 सीटों के लिए चल रही उपचुनाव प्रक्रिया के बीच ख़बर आयी है कि बीजेपी ने दो और निर्दलीय विधायकों को भी ‘विधिवत तोड़’ लिया है। ये विधायक 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से कांग्रेस और कमलनाथ सरकार के साथ रहे थे।

बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, खरगौन जिले की भगवानपुरा सीट से निर्दलीय विधायक केदार चिड़ाभाई डावर और बुरहानपुर जिले की बुरहानपुर सीट से स्वतंत्र विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा शिवराज सरकार के समर्थन में पत्र दिये जाने की सूचना है।

ताज़ा ख़बरें

केदार चिड़ाभाई डावर ने शिवराज सरकार के समर्थन में पत्र लिखे जाने की पुष्टि की है। डावर ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘मैंने 21 अक्टूबर को शिवराज सरकार को समर्थन देने संबंधी पत्र लिखा है। क्षेत्र के चहुंमुखी विकास के लिये मैं बीजेपी के साथ आया हूं।’

उधर, सुरेन्द्र सिंह शेरा ने ‘सत्य हिन्दी’ से बातचीत में दावा किया कि - ‘मैंने कोई पत्र बीजेपी के समर्थन में नहीं दिया है। यह सब टीआरपी बढ़ाने वाली बातें हैं।’ हालांकि बीजेपी के सूत्र दावा कर रहे हैं इन दोनों विधायकों के समर्थन संबंधी खत मिल गये हैं। इन खतों को ‘माकूल फोरमों’ पर सूचनार्थ भेज भी दिया गया है।

सुरेन्द्र सिंह शेरा भले ही अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं लेकिन कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद कई बार वे खुलकर बीजेपी के साथ खड़े नजर आये हैं। विधानसभा के फ्लोर पर भी उनका झुकाव सत्तारूढ़ दल के पक्ष में नजर आ चुका है।

जब कमलनाथ मुख्यमंत्री थे तब भी कई अवसरों पर ‘मन’ की ना होने पर वे कांग्रेस की सरकार को समर्थन देने का एहसान जताते हुए खुलकर भुनभुनाया करते थे। इसी साल मार्च में जब नाथ सरकार को गिराने का खेल चला था तब भी शेरा गुरूग्राम और बेंगलुरू के होटलों में बीजेपी से गलबहियां करते दिखाई पड़े थे।

पहले भी तोड़े विधायक 

कमलनाथ सरकार के गिरने के बाद बीएसपी के दो, एसपी का एक और दो अन्य निर्दलीय विधायक पूर्व में भी बीजेपी के साथ हो चुके हैं। नाथ सरकार में बेहद महत्वपूर्ण खनिज महकमे के मंत्री रहे निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल गुड्डा ने तो विधानसभा के फ्लोर पर बीजेपी के साथ होने की बात कही थी। 

बता दें, मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 114 और बीजेपी ने 109 सीटें हासिल की थीं। इसके अलावा बीएसपी के दो, एसपी के एक और चार निर्दलीय विधायक चुनकर आये थे। ताज़ा हालात में बीजेपी के पास 107 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 88 का आंकड़ा है। 

कांग्रेस ने चार निर्दलीय, बीएसपी और एसपी के विधायकों को अपने साथ कर लिया था। कुल 121 नंबरों के साथ कांग्रेस की सरकार बनी थी और कमलनाथ मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए थे।

सिंधिया की बगावत 

करीब 15 महीने बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद पहली खेप में कांग्रेस के थोकबंद 19 विधायक टूट गये थे। अपने पदों से इस्तीफा देकर वे बीजेपी के साथ हो गये थे। बाद में भी कांग्रेस विधायकों के टूटने और बीजेपी के साथ हो जाने का सिलसिला जारी रहा था। विधायक पद से इस्तीफा देने वाले विधायकों की संख्या आखिर में 25 हो गई थी। जबकि तीन सीटें (दो कांग्रेस और बीजेपी के एक विधायक) के निधन की वजह से रिक्त हुई थीं। 

28 सीटों पर उपचुनाव

राज्य की कुल 28 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव हो रहे हैं। इन सीटों में सबसे ज्यादा 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र वाले इस इलाके की सभी 16 सीटों को 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जीता था। उपचुनाव वाली कुल 28 सीटों में से 27 कांग्रेस के पास थीं, जबकि एक सीट आगर मालवा को बीजेपी जीत पायी थी। बीजेपी ने कांग्रेस से बगावत करने वाले सभी पूर्व विधायकों को टिकट दिया है। 

मध्य प्रदेश से और ख़बरें

दो सीटें जीतनी काफी 

ताजा नंबर गेम के बाद उपचुनाव में बीजेपी यदि दो ही सीटें जीत पाती है तो भी शिवराज सिंह सरकार बची रहेगी। उसे कोई आंच नहीं आयेगी। क्योंकि उसके पास ख़ुद के 107 विधायक हैं और 7 अन्य का समर्थन उसे हासिल हो चुका है। वैसे जो रूझान आ रहे हैं उसके अनुसार बीजेपी को 15 से 19 के बीच सीटें मिलने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

बीजेपी द्वारा किए जा रहे विधायकों को तोड़ने के 'खेल' को कांग्रेस को पूरी तरह ध्वस्त करने की उसकी मंशा से जोड़कर देखा जा रहा है। बीजेपी के सूत्र तो यह भी दावा कर रहे हैं कि उपचुनाव के रिजल्ट आने के बाद कांग्रेस के कुछ और विधायक उसके पाले में खड़े नजर आयेंगे।

कड़ी मेहनत कर रहे दिग्गज

उपचुनाव में नतीजे अपने पक्ष में करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ जमकर पसीना बहा रहे हैं। उधर, अपनी साख को बचाने और चमकाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया भी जबरदस्त मेहनत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी दिन-रात एक किए हुए हैं।

अभी हमारे पास दोनों निर्दलीय विधायकों के समर्थन का पत्र नहीं आया है। सभी निर्दलीय विधायक निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं। कुछ विधायकों ने तो हाल के विधानसभा सत्र में फ्लोर पर बीजेपी के साथ होने की बात ऑन रिकार्ड कही भी है।


रामेश्वर शर्मा, प्रोटेम स्पीकर, मध्य प्रदेश

‘मनोवैज्ञानिक दबाव बना रही बीजेपी’

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता के.के.मिश्रा ने कहा, ‘सुरेंन्द्र सिंह शेरा और केदार चिड़ाभाई डावर बीजेपी के साथ हैं और यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। हमें भी मालूम है। पहले भी ये खुलकर बीजेपी के मंच पर नजर आये हैं। ताजा खतो-खिताबत महज और महज, कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए बीजेपी कर रही है।’ 

मिश्रा ने कहा कि आज भले ही चारों निर्दलीय विधायकों और बीएसपी-एसपी के विधायकों के समर्थन का दावा बीजेपी करे, लेकिन हकीकत यही है कि दस नवंबर को उपचुनाव के नतीजे आने के बाद ये सातों विधायक कांग्रेस के झंडे तले नजर आयेंगे। उन्होंने कहा कि कमलनाथ की सरकार बनने पर ये बिना सौदेबाज़ी के समर्थन करेंगे।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजीव श्रीवास्तव

अपनी राय बतायें

मध्य प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें