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15 दिनों में कोरोना प्रोटोकाॅल से 5484 अंतिम संस्कार, मौत के आँकड़े कम क्यों?

कोरोना संक्रमण से मरने वालों के आँकड़े छिपाए जाने के आरोप क्यों लग रहे हैं? यदि श्मशान व कब्रिस्तान में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किए जाने वालों की संख्या और मौत के सरकारी आँकड़ों में अंतर होगा तो सवाल तो उठेंगे ही।

केन्द्र और राज्य की सरकारें चाहे जो दलील दें, लेकिन यह सही है कि वास्तविक आँकड़े सामने नहीं आ पा रहे हैं। देश के बुरी तरह संक्रमित राज्य और केन्द्रशासित प्रदेशों की सूची में मध्य प्रदेश भी ऊपरी पायदान पर है। मध्य प्रदेश के डेढ़ दर्जन के लगभग ज़िलों में पिछले 15 दिनों में कोरोना प्रोटोकाॅल के तहत 5 हज़ार 484 अंतिम संस्कार हुए हैं। इनमें रिकॉर्ड 1663 अंतिम संस्कार भोपाल में होने की जानकारी सामने आयी है।

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वहीं बीते एक साल में कोरोना संक्रमण से मौत संबंधी मध्य प्रदेश सरकार का आँकड़ा 5 हजार 424 है। यानी कोरोना प्रोटोकॉल के तहत जितने लोगों का अंतिम संस्कार पिछले 15 दिनों में किया गया है सरकारी आँकड़ों में अब तक एक साल में भी कोरोना से इतनी मौतें नहीं दिखाई गई हैं।

राज्य के सात शहरों में ही पिछले 15 दिनों में जहाँ कोरोना प्रोटोकॉल के तहत 4513 अंतिम संस्कार किए गए वहीं सरकारी आँकड़ों में कोरोना से 444 लोगों की मौत बताई गई।

 

92 हजार से ज़्यादा एक्टिव केस

मध्य प्रदेश सरकार के एक दिन पहले जारी आँकड़ों के अनुसार 92 हजार से ज़्यादा एक्टिव कोरोना केस हैं। कोरोना फैलने के बाद से अब तक यह संख्या साढ़े पांच लाख के अंक को पार कर चुकी है। साढ़े चार लाख के लगभग संक्रमित ठीक भी हुए हैं। मध्य प्रदेश के सभी 52 ज़िलों में कोरोना संक्रमित रोगी हैं। अब तो गांव और कस्बों में भी तेज गति से रोगी मिल रहे हैं और मौतें भी हो रही हैं।

covid death and cremation under corona protocol data difference in mp - Satya Hindi

विश्राम घाटों पर लंबी वेटिंग

जिला प्रशासन द्वारा कोरोना से मृत लोगों के अंतिम संस्कार के लिये चिन्हित विश्राम घाट/कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार के लिये विश्राम स्थलों पर लगी लंबी कतारें हैं। भोपाल में दो विश्राम स्थल और एक कब्रिस्तान को कोविड-19 से मृत हो रहे लोगों के अंतिम संस्कार के लिये स्थानीय प्रशासन ने चिन्हित कर रखा है। दो विश्राम स्थल और एक कब्रिस्तान में पूरे-पूरे दिन नगर निगम और अन्य निजी वाहनों से कोविड-19 से मारे जा रहे लोगों के शवों के आने का सिलसिला चलते रहता है।

इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में भी छह से आठ घंटे की वेटिंग है। पारंपरिक संस्कार के लिये लकड़ी और कंडे का हर दिन टोटा पड़ रहा है।

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हिन्दू धर्म में सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार न किये जाने की परंपरा रही है, लेकिन यह टूट चुकी है। देर रात तक अंतिम संस्कार हो रहे हैं। विश्राम घाट के कर्मचारियों के हाथ खड़ा कर देने पर अंतिम संस्कार अगले दिन तक के लिए टल पा रहे हैं।

हिन्दू धर्म में तीसरा करने की परंपरा है। तीसरे दिन अस्थी संचय होता है। शवों के आने का सिलसिला न थमने को देखते हुए उसी दिन भी लोग अस्थियों का संचय करने को मजबूर हैं, जिस दिन देह को अग्नि दी गई है। उस दिन कोई बाधा होने पर अगले यानी दूसरे दिन अस्थियां हर सूरत में लेनी पड़ रही हैं।

पंडित और कर्मचारी भी हो गये संक्रमित

अंतिम संस्कार कराने में अहम भूमिका निभाने वाले पंडित और मुल्ला-मौलवियों के अलावा विश्राम स्थल एवं कब्रिस्तानों के कर्मचारी भी बड़ी संख्या में संक्रमित हुए हैं। 

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मंत्री का दावा- आरोप निराधार

मध्य प्रदेश में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हर दिन हो रहे अंतिम संस्कार और सरकारी आँकड़ों में अंतर को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं तो सरकार इसे खारिज भी कर रही है। मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मीडिया के सवालों के जवाब में दावा किया है, ‘कोरोना से मौत के आँकड़ों को सरकार ने बिलकुल नहीं छिपाया है।’

सारंग की दलील है, ‘कोरोना को लेकर जो प्रोटोकॉल बना हुआ है, उसके अंतर्गत कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण वाले संदिग्ध की मौत के बाद अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत करने का प्रावधान है। इसी वजह से सरकारी और विश्राम घाटों के आँकड़ों में अंतर नज़र आ रहा है।’

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संजीव श्रीवास्तव

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