कांग्रेस के चुनाव प्रचार से दिग्विजय सिंह दूर हैं। यह संकेत कई रूप में मिलते रहे हैं। इस वीडियो में उनकी बातों से भी यही संदेश गया। यह वीडियो दो दिन पहले का ही है। वे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जीतू पटवारी के घर पहुंचे थे और जब वहां से बाहर निकले तो कांग्रेसी कार्यकर्ता उनके सामने खड़े हो गए। इसी दौरान दिग्विजय सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अनौपचारिक बातचीत की।
दिग्विजय सिंह ने कहा, “काम नहीं किया तो सपने देखते रह जाओगे। अगर ऐसे काम करोगे तो सरकार नहीं बनेगी। जिसको टिकट मिले, चाहे दुश्मन को मिले पर जिताओ। …मेरा काम केवल एक, कोई प्रचार नहीं, कोई भाषण नहीं। मेरे भाषण देने से तो कांग्रेस के वोट कट जाते हैं, इसलिए मैं जाता नहीं।”
इस बयान से सीधे तौर पर दो सवाल खड़े होते हैं। एक तो यह कि क्या सच में उनके बयानों से कांग्रेस के वोट कटते हैं? और दूसरा, क्या कांग्रेस में उनकी उपेक्षा हो रही है और इससे दिग्विजय सिंह का दर्द बयां हो रहा है? पहले आते हैं ‘दिग्विजय के बयानों से कांग्रेस के वोट कटने’ के सवाल पर। इस सवाल का उत्तर देने के लिए तो आंकड़े निकालने मुमकिन नहीं हैं, क्योंकि चुनाव के परिणाम कई चीजों से प्रभावित होते हैं। हालांकि, चुनाव विश्लेषक मानते हैं कि एेसे विवादित बयानों का चुनाव परिणामों पर ग़लत असर पड़ता है। कांग्रेस नेता भी दबी ज़ुबान में इस बात को स्वीकार करते हैं।दिग्विजय सिंह अपने बयानों से अक्सर कांग्रेस को मुसीबत में डालते रहे हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के पिछले चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह के एक बयान को लेकर हंगामा मचा था। तब दिग्विजय ने मीडिया के सामने अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के लिए आदरसूचक शब्द इस्तेमाल किए थे। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के आर्मी बेस के नज़दीक रह रहे ‘ओसामाजी’ के बारे में उसे भनक क्यों नहीं लगी। भाजपा ने इस बयान को कांग्रेस से जोड़ा था और कहा था कि आतंकवादियों के प्रति कांग्रेस नरम रुख़ रखती है। भगवा पार्टी ने इसे चुनाव में भुनाने का प्रयास किया था। कांग्रेस भी इस बयान से किनारा करती दिखी थी, क्योंकि पार्टी को भी शायद चुनाव में इससे नुकसान होने का अंदेशा रहा होगा।
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