इंदौर के जिस चंदन खेड़ी गाँव में चंदा जुटाने के लिए रैली के दौरान पथराव की घटना हुई थी क्या वहाँ चुनिंदा तरीक़े से मुसलिमों को निशाना बनाया जा रहा है? यह सवाल इसलिए कि वहाँ सांप्रदायिक झड़प के एक दिन बाद ही कई घरों के कुछ हिस्से को प्रशासन ने ढहा दिया। कार्रवाई यह कहकर की गई कि रोड को चौड़ा किया जाना है और उन हिस्सों को ढहाया गया है जो सरकारी ज़मीन पर अतिक्रमण किया गया था। उस जद में 13 घर आए।
इंदौर के इस चंदन खेड़ी गाँव में 29 दिसंबर को राम मंदिर के लिए धन जुटाने के लिए रैली के दौरान पथराव की घटना हुई थी। पथराव में दोनों पक्षों के क़रीब दो दर्जन लोग घायल हो गये थे। बताया गया है कि रैली के दौरान पुलिस भी मौजूद थी। लेकिन विवाद के वक़्त पुलिस की संख्या कम पड़ गई। यहाँ 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और जेल भेजा गया था।
जहाँ यह घटना हुई वह मुसलिम बहुल इलाक़ा है। उस घटना के एक दिन बाद यानी 30 दिसंबर को प्रशासन ने सड़क किनारे तोड़ने की कार्रवाई की। इस पर सवाल उठे कि हिंसा के बाद ही घरों को तोड़ने की कार्रवाई क्यों की गई। जिनके घर टूटे उन्होंने प्रशासन की आलोचना की। एक तरफ़ लोगों के घर तोड़े जा रहे थे और दूसरी तरफ़ उनकी गिरफ़्तारी हो रही थी। वह भी सिर्फ़ उसी मोहल्ले में।
इन आलोचनाओं का जवाब भी प्रशासन ने दिया। संपर्क किए जाने पर चंदन खेड़ी को कवर करने वाली देपालपुर तहसील के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट प्रतुल सिन्हा ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया, शुरुआती योजना केवल सड़क निर्माण के लिए थी, चौड़ीकरण की नहीं। उन्होंने कहा, 'झड़प के बाद यह महसूस किया गया कि सड़क फायर टेंडर की गाड़ी के गुजरने के लिए पर्याप्त चौड़ी नहीं थी। झड़पों के बाद ग्रामीणों को कहा गया कि वे घर को तोड़ लें क्योंकि वे मध्य प्रदेश सरकार की ज़मीन पर अवैध अतिक्रमण कर बनाए गए थे।'
प्रतुल सिन्हा ने कहा कि घरों को ढहाने का काम मौखिक सहमति से किया गया था और इसके लिए कोई नोटिस नहीं दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को पर्याप्त समय दिया गया कि वे अपना सामान हटा लें जिससे उन्हें कुछ भी नुक़सान नहीं हुआ।
जिन लोगों के घर ढहाए गए उनमें पंचायत के सदस्य मुहम्मद रफीक का घर भी शामिल है। रफीक को उस झड़प में शामिल होने के आरोप में पिछले मंगलवार को ही गिरफ़्तार किया गया। उनकी पत्नी परवीन बी ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि प्रशासन के अफ़सर आए और घर को एक दिन बाद ढहाने के लिए खाली करने को कहा। उन्होंने आरोप लगाया, 'मैंने उनसे कहा कि सामने की दीवार ढहाने से एक महिला, जिसके पति को पकड़ लिया गया है, सुरक्षित कैसे रह सकती है? उन्होंने अचानक बिना किसी नोटिस के हमारे घरों को ढहाने का फैसला क्यों किया।'
बता दें कि इंदौर जैसी घटना पाँच दिन पहले उज्जैन शहर में भी हुई थी। उज्जैन में भी राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र करने के उद्देश्य को लेकर हिंदू संगठन रैली निकाल रहे थे। रैली टावर चौक से होती हुई महाकाल क्षेत्र स्थित भारत माता मंदिर पहुंच रही थी, तभी बेगम बाग कालोनी क्षेत्र में कुछ असामाजिक तत्वों ने रैली पर पथराव कर दिया था। उज्जैन की बेगम बाग से 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि 10 के ख़िलाफ़ एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लगाया गया था।
इन घटनाओं के बाद मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने ऐसे 'पत्थरबाज़ों' के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून लाने की तैयारी की है।
मुख्यमंत्री किसी सार्वजनिक या निजी संपत्ति के नुक़सान होने पर पत्थरबाज़ी करने वाले की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान करना चाहते हैं।
इसी क़ानून को लेकर शिवराज सिंह ने रविवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस को संबोधित किया था। उन्होंने कहा, 'अगर कोई शांति से अपने मुद्दों को उठाता है तभी लोकतंत्र बचा रहता है। लेकिन किसी को भी सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाने की अनुमति नहीं है।' उन्होंने कहा कि क़ानून बनाने के लिए निर्देश दिए गए थे और काम शुरू हो गया था।
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