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एमपी: हड़ताल पर डटे डॉक्टर्स, मरीज बदहाल, ‘कुचलने’ की कोशिश में सरकार

मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स और सरकार के बीच चल रहे टकराव ने कोरोना रोगियों समेत अन्य बीमार लोगों की मुश्किलें बेहद बढ़ा दी हैं। हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी काम पर ना लौटने वाले जूनियर डॉक्टर्स को लेकर शिवराज सरकार सख्त हो गई है। दो दर्जन से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स के इस्तीफे मंजूर करते हुए बांड की राशि जमा करने और हॉस्टल खाली करने का फ़रमान सरकार ने जारी कर दिया है।

मध्य प्रदेश के जूनियर डॉक्टर अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। शनिवार को हड़ताल का छठवां दिन है। हाई कोर्ट ने गुरुवार को हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए अगले 24 घंटों में काम पर लौटने के आदेश जूनियर डॉक्टर्स को दिये थे। कोर्ट ने कहा था, ‘जूनियर डॉक्टर काम पर नहीं लौटे तो सरकार सख्त कार्रवाई के लिये स्वतंत्र होगी।’

हाई कोर्ट के स्पष्ट अल्टीमेटम की अवधि शुक्रवार दोपहर तीन बजे खत्म हो गई, लेकिन जूनियर डॉक्टर काम पर नहीं लौटे। राज्य की सरकार इसके बाद सख्त हो गई।

बांड की राशि भरनी होगी 

गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के डीन ने शुक्रवार देर शाम 28 जूनियर डॉक्टर्स के इस्तीफे स्वीकार कर लिये। जिनके इस्तीफे स्वीकार किये गये उनमें ज्यादातर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारी और कार्यकारिणी सदस्य हैं। इस्तीफे मंजूर होने से पहले सरकार आदेश निकाल चुकी थी कि जो भी डॉक्टर बीच में अपनी सीट छोड़ेंगे, उन्हें बांड की राशि भरनी होगी। बांड की राशि 10 से 30 लाख रुपये के बीच है।

बता दें कि गुरुवार को हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश के करीब साढ़े तीन हजार जूनियर डॉक्टर्स ने इस्तीफे दे दिये थे। 

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स्वास्थ्य सेवायें लड़खड़ाईं

मध्य प्रदेश में भी कोरोना की दूसरी लहर अभी जारी है। जूनियर डॉक्टर्स के थोकबंद इस्तीफों से सरकारी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवायें एवं सुविधाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं।

राज्य में कोरोना के करीब 13 हजार एक्टिव रोगी अभी विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। ज्यादातर का इलाज सरकारी अस्पतालों में हो रहा है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और रीवा मेडिकल कॉलेजों में भी बड़ी संख्या में कोरोना के रोगी हैं। हड़ताल के कारण ये बेहद परेशान हैं। इलाज में कठिनाई हो रही है। 

पांचों मेडिकल कॉलेजों में ओपीडी के साथ अन्य उपचार भी ठप है। ज़रूरी आपरेशन रूक गए हैं। गरीब लोग अत्याधिक परेशान हैं। अस्पतालों के बाहर ऐसे परेशान रोगियों की कतारें लगी हुई हैं, जिन्हें उपचार एवं ऑपरेशन के लिए पूर्व से तारीखें दी गई थीं। ऐसे रोगियों को देखने और सुनने वाला मेडिकल कॉलेजों में कोई नहीं है।

ग्वालियर में 50 डॉक्टर बर्खास्त

जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल के समर्थन में शनिवार को मैदान में आये गजराजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर के 50 रेजिडेंट्स डॉक्टर्स को कॉलेज प्रबंधन ने बर्खास्तगी का नोटिस थमा दिया। 

इधर, भोपाल में गांधी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने हड़ताली जूनियर डॉक्टर्स को बिना देर किये हॉस्टल खाली करने और इस्तीफा मंजूर हो जाने वाले डॉक्टर्स को भरे गये बांड की राशि जमा करने संबंधी नोटिस दे दिये हैं। 

Junior doctors strike in Madhya pradesh - Satya Hindi

एसोसिएशन ने कहा- डरेंगे नहीं

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर अरविंद मीणा का कहना है, ‘सरकार के दमनात्मक रवैये से जूनियर डॉक्टर डरेंगे नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘जायज मांगों के निराकरण के बजाय सरकार के दमन भरे कदम दुःखद हैं। कोरोना संक्रमण की पहली और जबरदस्त दूसरी लहर में हम बिना रूके और थके काम करते रहे हैं। बावजूद इसके हमारे काम का सही मूल्यांकन ना होना पीड़ादायक है।’

डॉक्टर मीणा ने कहा, ‘हम हड़ताल नहीं चाहते। कोर्ट का सम्मान करते हैं। मगर केवल आश्वासन और आंदोलन को कुचलने वाली कार्रवाई हमें नामंजूर है। हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।’

सरकार बातचीत को तैयार

मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मीडिया से कहा, ‘जूनियर डॉक्टर हाई कोर्ट के निर्देशानुसार काम पर लौटें। सरकार की पहली प्राथमिकता रोगी हैं। हाई कोर्ट ने बातचीत के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाई है। जूनियर डॉक्टर इस समिति से बात करें। सरकार भी बातचीत के लिए तैयार है।’

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आईएमए ने भी किया समर्थन

मध्य प्रदेश के जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल का समर्थन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी कर दिया है। एसोसिएशन ने जूनियर डॉक्टर्स की मांगों को जायज बताते हुए कहा है, ‘राज्य की सरकार को जूनियर डॉक्टर्स की मांगों को बिना देर किये मंजूर करना चाहिये।’

जूनियर डॉक्टर्स की हैं ये मांग

  1. स्टाइपेंड में 24 प्रतिशत की वृद्धि करके 55,000 वाले स्लेब को बढ़ाकर 68,200, 57,000 वाले स्लेब को 70,680 और 59,000 स्लेब को 73,160 किया जाए।
  2. हर साल वार्षिक 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी बेसिक स्टाइपेंड पर दी जाए।
  3. पीजी करने के बाद 1 साल के ग्रामीण बांड को कोरोना की ड्यूटी के बदले हटाने के लिए एक कमेटी बनाई जाए, जिसमें जूडा के प्रतिनिधि भी शामिल हों।
  4. कोरोना ड्यूटी में कार्यरत जूनियर डॉक्टर को 10 नंबर का एक सर्टिफिकेट दिया जाए, उसे सरकारी नौकरी में प्राथमिकता दें।
  5. कोरोना में काम करने वाले जूनियर डॉक्टर और उनके परिवार के लिए अस्पताल में एक एरिया और बेड रिजर्व किया जाए, साथ ही निःशुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाए।

48 घंटों का समय दिया 

यहां बता दें, मध्य प्रदेश की रेजिडेंट डॉक्टर और मेडिकल ऑफ़िसर्स एसोसिएशन शुक्रवार को ही जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल का समर्थन कर चुकी हैं। दोनों एसोसिएशन ने सरकार को जूनियर डॉक्टर्स की मांगें मंजूर करने के लिये 48 घंटों का समय दिया है। दोनों एसोसिएशनों ने घोषणा कर रखी है कि मांगें नहीं मानी और टकराव को खत्म नहीं किया गया तो अल्टीमेटम अवधि पूरी होने के बाद दोनों एसोसिएशन भी हड़ताल पर चले जायेंगी।

मुख्यमंत्री से मुलाकात की संभावना

हड़ताली जूनियर डॉक्टर्स की मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा हो सकती है। खुद जूनियर डॉक्टर्स द्वारा सीएम से मुलाकात के लिए समय मांगा गया है। स्वयं सरकार भी कोरोना जैसे मौजूदा नाजुक समय में टकराव खत्म कर जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल समाप्त करवाने के पक्ष में है। 

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संजीव श्रीवास्तव

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