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फ़ोटो साभार: फ़ेसबुक/सिंधिया

क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस को ‘ब्लैकमेल’ कर रहे हैं?

पूर्व केंद्रीय मंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या अपनी ही पार्टी को ‘ब्लैकमेल’ कर रहे हैं? यह सवाल उठने की वजह है ट्विटर पर उनका बदला हुआ स्टेटस। ऐसी सुगबुगाहट भोपाल से लेकर दिल्ली तक कांग्रेसियों के बीच है। दरअसल, लंबे वक़्त से सिंधिया के सुर तीखे बने हुए हैं। कई मसलों पर उन्होंने पार्टी लाइन से इतर अपनी बात तो कही ही है साथ में वह मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार के कामकाज को लेकर भी बराबर सवाल खड़े कर रहे हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विटर स्टेटस के बदलने से इस कयास को नया बल मिला है। दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्विटर स्टेटस पर नाम के आगे जनसेवक (पब्लिक सर्वेंट) और क्रिकेट प्रेमी लिखा आ रहा है। पूर्व में वह स्वयं को पूर्व सांसद गुना और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ऊर्जा, वाणिज्य और उद्योग लिखा करते थे। बदले हुए स्टेटस के बीच सोमवार को यह चर्चा भी रही कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात हुई है। ट्विटर स्टेटस को लेकर भोपाल से लेकर दिल्ली तक बवाल मचने के कुछ ही देर में सिंधिया ने साफ़ किया कि ‘ट्विटर स्टेटस वह महीना भर पहले बदल चुके हैं। बवाल बेवजह खड़ा किया जा रहा है।’ सिंधिया ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाक़ात होने संबंधी ख़बर को भी सिरे से खारिज कर दिया।

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सिंधिया ने भले ही सफ़ाई दी कि ट्विटर स्टेटस वह महीना भर पहले बदल चुके हैं, लेकिन महीने भर से ज़्यादा समय से उनके मिज़ाज तीखे बने हुए हैं। विशेषकर, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार को काफ़ी वक़्त से निशाने पर लिए हुए हैं। मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के कामकाज को लेकर सार्वजनिक मंचों से मध्य प्रदेश में उन्होंने सवाल खड़े किए हैं।

मोदी सरकार ने जब कश्मीर से धारा 370 हटाई तो भी कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गाँधी से उलट राय उन्होंने रखी थी। उन्होंने केन्द्र की सरकार के फ़ैसले का खुलकर स्वागत किया था।

बता दें कि राहुल गाँधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद से सिंधिया ख़ुद के अस्तित्व की लड़ाई लड़ते नज़र आ रहे हैं। साल 2018 में मध्य प्रदेश विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस ने जब 15 सालों की सत्ता के सूखे को समाप्त किया था, तब मुख्यमंत्री पद की दौड़ में कमलनाथ के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल थे। सोनिया गाँधी के हस्तक्षेप के बाद कुर्सी कमलनाथ को मिल गई थी।

लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस की पराजय का ज़िम्मा लेते हुए राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया था। इसके बाद सिंधिया ज़्यादा ऊहापोह के हालात से गुज़रते दिखे। हालाँकि पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का उन्हें प्रभारी बनाया, लेकिन अपेक्षित सफलता कांग्रेस को महाराष्ट्र में नहीं मिल सकी।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर सिंधिया की ‘ताजपोशी’  काफी वक़्त से मध्य प्रदेश के उनके समर्थक चाह रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद फ़िलहाल कमलनाथ के पास ही है। कोई फ़ैसला आलाक़मान इस दिशा में नहीं ले रहा है।

प्रेक्षकों का मानना है कि सिंधिया की नज़र मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से कहीं ज़्यादा अप्रैल में रिक्त होने जा रही मध्य प्रदेश की कोटे की राज्यसभा सीटों में से एक पर है।

अप्रैल 2020 में राज्यसभा की तीन सीटें रिक्त होने जा रही हैं। तीन सीटों में अभी दो बीजेपी और एक कांग्रेस (दिग्विजय सिंह राज्यसभा सदस्य हैं) के पास है।

रिक्त होने वाली तीन सीटों में से दो कांग्रेस के खाते में जाना तय है। एक सीट बीजेपी को मिलेगी। ऐसे में कहा जा रहा है कि साल 2002 के बाद पहली बार ‘पावरलेस’ (लगातार गुना से लोकसभा सदस्य थे) हुए सिंधिया की फड़फड़ाहट इसी बात (राज्यसभा जाने) को लेकर है।

दरअसल, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने सिंधिया को मध्य प्रदेश में पूरी ‘चेक’ करके रखा हुआ है। सिंधिया के कोटे से कमलनाथ ने मंत्री तो बनाये हैं, लेकिन सिंधिया समर्थक इन मंत्रियों को कथित तौर पर वैसी आज़ादी नहीं है जो आमतौर पर मंत्रियों को होती है। उधर दिल्ली में भी वैसा ‘ठौर-ठिकाना’ नहीं मिल पा रहा है जो राहुल गाँधी के वक़्त मिला करता था, लिहाज़ा सिंधिया की बेचैनी ज़्यादा बढ़ी हुई है।

केंद्र सरकार और बीजेपी के प्रति ज्योतिरादित्य सिंधिया के कथित नरम रवैये तथा अपनी ही पार्टी (कांग्रेस) को लेकर ‘सख़्त मिज़ाजी’ को तमाम समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस में कुछ नेता तो ऑफ़ द रिकॉर्ड यहाँ तक कह रहे हैं, ‘पावरलेस महाराज, पुनः पावर हासिल करने के लिए कांग्रेस को ब्लैकमेल करने पर आमदा हो गये हैं।’

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कांग्रेस प्रवक्ता की सफ़ाई

मध्य प्रदेश में सिंधिया के मीडिया मैनेजमेंट को देखने वाले वरिष्ठ नेता और प्रदेश कांग्रेस में प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने ताज़ा सुगबुगाहट को लेकर पूछे जाने पर ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘सब बकवास है। सिंधिया जी ने स्टेटस महीने भर पहले बदला है। वह आज मोदी से नहीं मिले, लेकिन इस तरह की ख़बरें उड़ा दी गई्रं।’ चतुर्वेदी ने कहा, ‘कुछ असंतोषी तत्व हैं, जिन्हें यह सब करने में मज़ा आता है।’

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और मध्य प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने पूरे घटनाक्रम पर चुटकी लेते हुए कहा, ‘सिंधिया कांग्रेस में परेशान हैं। पार्टी सतत उनकी अनदेखी कर रही है।’ बीजेपी में आने संबंधी ख़बरों को लेकर पूछे जाने पर विजयवर्गीय का जवाब रहा, ‘इस बारे में उन्हें कोई भी जानकारी नहीं है।’

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सिंधिया समर्थक मंत्री ने भी स्टेटस बदला

सिंधिया ने भले ही महीने भर पहले अपना ट्विटर स्टेटस बदलने की बात कही, लेकिन कमलनाथ सरकार में उनके कोटे वाली एक मंत्री इमरती देवी ने भी अपने ट्विटर हैंडिल पर स्टेटस बदलकर तमाम विवाद को और हवा दे दी। इमरती देवी ने अपने ट्विटर स्टेटस से मंत्री पद और मिले विभागों की जानकारी हटा ली। बता दें कि सिंधिया समर्थक क़रीब तीन दर्जन विधायक मध्य प्रदेश विधानसभा में हैं। आधा दर्जन से ज़्यादा विधायकों को कमलनाथ ने अपनी काबीना में सिंधिया के दबाव में मद्देनज़र ही जगह दी हुई है।

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संजीव श्रीवास्तव

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