मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य दिग्विजय सिंह के भोपाल में सरकारी घर का पता एक बार फिर ‘बी- 1’ श्यामला हिल्स हो गया है।
दिग्विजय सिंह 19 अगस्त को भोपाल में ‘बेघर’ हो गए थे। पूर्व मुख्यमंत्रियों को घर दिए जाने के मध्य प्रदेश सरकार के एक फ़ैसले के ख़िलाफ़ अदालत से आए फ़रमान के मद्देनज़र उनसे यह सरकारी बंगला शिवराज सरकार ने खाली करवा लिया था। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा दिए गए आदेश के बाद राज्य के गृह विभाग ने बी-1 बंगला सिंह को अलॉट करने संबंधी आदेश बुधवार को जारी कर दिया।
- मध्य प्रदेश सरकार के नियम और परंपराओं के तहत राज्य के पाँच पूर्व मुख्यमंत्रियों मोतीलाल वोरा, कैलाश जोशी, उमा भारती, बाबूलाल गौर और दिग्विजय सिंह को भोपाल में सरकारी बंगले मिले हुए थे। वोरा अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। साल 2000 में छत्तीसगढ़ बन जाने के बाद भी उन्हें 74 बंगला क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के घर के ठीक बाजू में सरकारी घर अलॉट रहा। वे इक्का-दुक्का बार ही इस बंगले में आए। जब छत्तीसगढ़ नहीं बना था तब उनके विधायक पुत्र अरुण वोरा का यह ठिकाना रहा।
पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी घर और सुविधाओं को लेकर कोर्ट कचहरी का सिलसिला तेज़ होने पर मोतीलाल वोरा ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से आवंटित सरकारी घर काफ़ी पहले ख़ाली कर दिया था। बाद में कोर्ट का फ़ैसला आने पर जोशी, भारती और गौर अपने घर बचाने में जुट गए थे। तत्कालीन बीजेपी सरकार ने बंगलों का आवंटन नए सिरे से इन्हें कर दिया था। शिवराज सरकार चाहती थी कि दिग्विजय सिंह भी आवेदन दे दें, रास्ता ‘निकाल’ लिया जाएगा।
दिग्विजय सिंह ने आवेदन नहीं किया था। वे चाहते थे सरकार बिना आवेदन ही रास्ता निकाल ले। राज्यसभा सदस्य के नाते वे बंगले के आवंटन के पात्र थे। अंत में दिग्विजय सिंह को 19 अगस्त 2018 को सरकारी बंगला छोड़ देना पड़ा था। उन्होंने अपना साजो-समान ट्रकों में लादकर राघौगढ़ भिजवा दिया था। चुनावों के बीच और आचार संहिता लगने के बाद उन्होंने भोपाल में एक अदद ‘घर मोर्चे’ को जैसे-तैसे साधा। ख़ूब ख़बरें बनीं।
बी-1, श्यामला हिल्स से दिग्विजय का पुराना नाता
साल 2003 के चुनाव में हार और मुख्यमंत्री पद गँवाने के बाद दिग्विजय सिंह ने बी-1, श्यामला हिल्स में ही शरण ली थी। वे अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्री रहते सिंचाई राज्यमंत्री के तौर पर पहली बार इस बंगले में पहुंचे थे। एक तरह से फ़र्श से अर्श तक का सफर उन्होंने इस बंगले से पूरा किया। राजनीतिक जीवन में उतार और 2003 की हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए दस सालों के राजनीतिक वनवास का पूरा वक्त उन्होंने इसी बंगले में बिताया।- दिग्विजय सिंह के इस बंगले से ‘असीम प्रेम’ की एक वजह उनकी पहली पत्नी आशासिंह भी हैं। सत्ता गँवाने के बाद जब भी सिंह भोपाल में होते थे, इसी बंगले में आशा सिंह उनकी अगवानी करती थीं और राजनीति में पुनर्स्थापना के लिए कँधे से कँधा मिलाकर उन्हें संबल प्रदान किया करती थीं। यह भी एक ख़ास वज़ह है कि दिग्विजय सिंह ने इसी बंगले का चुनाव भोपाल के सरकारी आशियाने के तौर पर फिर से किया।
तो क्या अब शिवराज ‘बेघर’ हैं?
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अब बड़े और सुविधाजनक बंगले की तलाश है। कमलनाथ ने बड़ा दिल दिखाते हुए उनके द्वारा मांगे गए सात नंबर का बंगला प्रफेसर कॉलोनी इलाक़े में आवंटित कर दिया है। यह बंगला शिवराज सरकार में विदिशा की सांसद और केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज को अलॉट किया गया था। सुषमा स्वराज ने पुन: चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है। देर-सबेर यह बंगला वह खाली कर देंगी और शिवराज उसके बाद इसमें शिफ़्ट हो जाएँगे। अभी तो शिवराज को मुख्यमंत्री निवास खाली करना है और इसकी तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं।
मुख्यमंत्री निवास के बाद शहर में यह सबसे बड़ा ऐसा सरकारी बंगला है जो एरिया और सुविधाओं के लिहाज़ से सर्वश्रेष्ठ है। फ़िलहाल शिवराज के पास बाबूलाल गौर के घर ठीक बाजू वाले बंगले के बाद का एक बंगला 74 बंगले में ‘मुख्यमंत्री निवास ऐनेक्स’ के तौर पर बना हुआ है। शिवराज के पास सांसद की हैसियत से यह बंगला था। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इसे खाली नहीं किया। तीज-त्यौहार के मौक़े पर साधना सिंह इसमें दिया-बाती करती रहीं। शिवराज भी आते-जाते रहे। फ़िलहाल वे इसी घर में शिफ़्ट होंगे, ऐसे संकेत हैं।
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