loader

कर्नाटक, गोवा के संकट के बाद ‘एक्शन’ में आए एमपी के स्पीकर

पहले कर्नाटक और उसके बाद गोवा में कांग्रेस विधायकों द्वारा पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिए जाने से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार भी सहमी हुई नजर आ रही है। दरअसल, उसके अपने विधायक और समर्थन दे रहे दलों के विधायक भी बार-बार सरकार पर भौहें तान रहे हैं। कर्नाटक और गोवा में पल-पल में बदले राजनीतिक हालातों के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर नर्मदा प्रसाद प्रजापति ‘एक्शन’ में दिख रहे हैं।बता दें कि कर्नाटक में गेंद स्पीकर के पाले में है और सुप्रीम कोर्ट ने उनसे आज इस बारे में फ़ैसला लेने के लिए कहा है। वहाँ कांग्रेस-जेडीएस सरकार का बचना मुश्किल दिख रहा है। स्पीकर तमाम क़ानूनी और उन्हें प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ताज़ा ख़बरें
इधर, मध्य प्रदेश में विधानसभा बजट सत्र चल रहा है। स्पीकर प्रजापति ने बिना ठोस कारण विधानसभा से ग़ैर हाजिर रहने वाले विधायकों के ख़िलाफ़ ‘कार्रवाई’ का फ़रमान सुना दिया है। हालाँकि इस बारे में विधिवत लिखित में कोई आदेश नहीं हुआ है, लेकिन स्पीकर ने विधायकों को दो टूक कह दिया है कि छुट्टी लेनी ही है तो पूर्व में सूचना दें। बीमारी और कार्यक्रमों का ‘बहाना’ मंजूर ना किये जाने की नसीहत भी उन्होंने विधायकों को दे दी है। स्पीकर के मौखिक निर्देशों के बाद विधायक सकते में हैं।

विधायकों को बिना बताए अनुपस्थित न रहने के लिए कहा गया है। महत्वपूर्ण सवाल लगाने और चर्चा के लिए उसका समय सुनिश्चित हो जाने के बाद विधायक का बिना सूचना ग़ायब हो जाना सही परंपरा नहीं है। जनता की गाढ़ी कमाई का हिस्सा मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्रवाई पर व्यय होता है। जनप्रतिनिधि उन्हें मिलने वाले समय का भरपूर उपयोग करें इसी मंशा से विधायकों को ‘सतर्क’ किया गया है।’


नर्मदा प्रसाद प्रजापति, स्पीकर, मध्य प्रदेश

बीमार बताने पर देना होगा मेडिकल सर्टिफ़िकेट

सूत्रों के अनुसार, स्पीकर ने बीमार होने की स्थिति में विधायकों को डॉक्टर का सर्टिफ़िकेट देने और शादी-विवाह अथवा इस तरह के अन्य कार्यक्रमों की स्थिति में आमंत्रण-निमंत्रण पत्र अथवा सूचना पत्र प्रस्तुत करने की ‘अनिवार्यता’ भी तय की है। सूत्रों का कहना है कि इस बारे में विधिवत दिशा-निर्देश जल्दी जारी कर दिए जायेंगे।
स्पीकर प्रजापति भले ही सदन में मिलने वाले समय के सदुपयोग के लिए विधायकों पर ‘सख़्ती’ करने की दलील दे रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि कर्नाटक और गोवा में पार्टी विधायकों द्वारा कांग्रेस को धोखा दिये जाने से मध्य प्रदेश की सरकार भयभीत है।
दरअसल, कुल 230 सदस्यों वाली मध्य प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास 114 विधायक ही हैं। अपने दम पर बहुमत के लिए 116 विधायकों की ज़रूरत होती है। कांग्रेस को चार निर्दलीय, बीएसपी के दो और एसपी के एक विधायक का समर्थन हासिल है। कुल 121 विधायक उसके पास हैं। उधर, बीजेपी के पास 108 विधायक हैं। एक विधायक ने सांसद का चुनाव जीतने के बाद इस्तीफ़ा दे दिया था, जिससे एक सीट रिक्त है।
फ़िलहाल कुल 229 सीटों के हिसाब से सदन में नंबर गेम होना है। इस स्थिति में बहुमत का आंकड़ा 115 है। कांग्रेस ने एक निर्दलीय विधायक को मंत्री बना रखा है। इस तरह उसके पास अपने दम पर 115 विधायकों का समर्थन हासिल है। लेकिन कर्नाटक और गोवा में जो कुछ हुआ है, उससे कांग्रेस के दिल्ली दरबार के साथ मध्य प्रदेश में भी हलचल मची हुई है।

कांग्रेस के कई विधायक मंत्री ना बनाये जाने से ख़फ़ा हैं। तीन निर्दलीय विधायक और बीएसपी-एसपी के विधायक भी मंत्री अथवा कोई अन्य मलाईदार पद चाह रहे हैं। यही वजह है कि 121 विधायक होते हुए भी कमलनाथ सरकार के भविष्य पर तलवार लटकी हुई है।
विधानसभा सत्र के पहले कमलनाथ ने रूठे हुए विधायकों को सत्र समाप्ति के बाद सरकार में एडजस्ट कर लेने का झुनझुना पकड़ाया हुआ है। यह झुनझुना वह सरकार बनने और मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद से दावेदार विधायकों में निरंतर बांटे हुए हैं। कई विधायकों के सब्र का पैमाना अब छलकता हुआ दिखाई दे रहा है।
मध्य प्रदेश से और ख़बरें
मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार 8 जुलाई को आरंभ हुआ है। 10 जुलाई को कमलनाथ सरकार ने अपना पहला फुल फ़्लैश बजट विधानसभा में पेश किया है। इस बजट को पारित कराना है। इस पर चर्चा आरंभ हो गई है। मुख्य बजट के बाद विभागवार बजट पास होंगे। प्रतिपक्ष बीजेपी मौक़े की तलाश में है। सदन में पूरे बजट में हर मौक़े पर डिवीजन माँगने की उसकी तैयारी है।
संबंधित ख़बरें

ज़्यादा नहीं चलेगी नाथ सरकार 

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पिछले सप्ताह सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं, ‘कमलनाथ सरकार का मध्य प्रदेश में भविष्य बहुत लंबा नहीं है। यह सरकार अपने अंर्तद्वंद्वों से कभी भी चली जायेगी।’ भार्गव के इस दावे को कांग्रेस और मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिगूफ़ा करार दिया है। कांग्रेस दावा भले ही करे, लेकिन उसके भीतर सरकार के भविष्य को लेकर तमाम झंझावत बने हुए हैं।

सत्र आरंभ होने के ठीक पहले आयोजित की गई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने विधायकों में ‘जोश’ फूंकने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था, ‘विधायक पूरे समय सदन में मौजूद रहें। बीजेपी हर क्षण डिवीजन मांगेगी। बीजेपी के हर मंसूबे (आशय सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों से था) को नाकामयाब करना है। चट्टान की तरह अडिग रहना है।’

कांग्रेस के बड़े नेताओं में आपसी खींचतान ने भी कांग्रेस और मुख्यमंत्री नाथ की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। इधर, स्पीकर द्वारा विधायकों को दिये गये निर्देशों पर कोई बड़ा नेता और कांग्रेस विधायक कुछ बोलने को तैयार नहीं है। विधानसभा सचिवालय ने भी चुप्पी साध रखी है।

‘स्पीकर के ‘निर्देश’ समझ से परे’

मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव ईसराणी ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘विधानसभा स्पीकर प्रजापति के विधायकों को दिये गये ‘दिशा-निर्देश’ गले उतरने वाले नहीं हैं। विधायकों की अनुपस्थिति पर अंकुश के लिए 5 जुलाई 2016 को विधायक वेतन-भत्ते अधिनियम 1975 में अहम संशोधन किया गया था।संशोधन में विधायकों को भत्तों का लाभ उसी सूरत में मिलना सुनिश्चित किया गया है, जब वे सदन में हर दिन मौजूद रहेंगे।’ ईसराणी ने बताया, ‘पूर्व में सप्ताह में एक दिन भर की उपस्थिति पर पूरे सप्ताह के स्वत्वों का लाभ विधायकों को मिल जाया करता था’ पूर्व प्रमुख सचिव यह भी कहते हैं, ‘सदन में विधायकों की अधिकतम उपस्थिति की ज़िम्मेदारी उन राजनीतिक दलों की ज़्यादा है जिनके टिकट पर विधायक चुनकर आते हैं। यही स्थिति स्वतंत्र सदस्यों पर भी लागू होती है - स्वमेव अनुशासन का पालन हरेक को करना चाहिए।’
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजीव श्रीवास्तव

अपनी राय बतायें

मध्य प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें