मध्य प्रदेश की 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कब होंगे, यह अभी साफ़ नहीं है। लेकिन इन क्षेत्रों में सत्तारूढ़ दल बीजेपी और प्रतिपक्ष कांग्रेस ने राजनीतिक लड़ाई तेज़ कर दी है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश कांग्रेस ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान चलाते हुए उपचुनाव वाले क्षेत्रों में वोटरों को गंगाजल बांट रही है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस का ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान इंदौर के सांवेर विधानसभा क्षेत्र से शुरू हो चुका है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ग्वालियर-चंबल संभाग की 16 विधानसभा सीटों पर डेरा डाले हुए है। इसी क्रम में शिवपुरी जिले की उन विधानसभा सीटों के मतदाताओं को गंगाजल वितरित किया जा रहा है, जहां पर उपचुनाव होने हैं।
शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी डबरा और बड़ा मलेहरा पहुंची और इन क्षेत्रों में गंगाजल वितरित करते हुए वोटरों से अपना वोट ‘शुद्ध’ करने की अपील की।
अभियान की प्रभारी और मध्य प्रदेश कांग्रेस की उपाध्यक्ष अर्चना जायसवाल ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘मध्य प्रदेश के मतदाताओं ने जिन्हें कांग्रेस के टिकट पर चुना, उन्होंने पैसे और पद के लिए खुद को बेच दिया। वोट को अशुद्ध कर दिया। हम अशुद्ध हुए वोट का शुद्धिकरण कर रहे हैं।’
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विधानसभा के उपचुनाव तक कांग्रेस का यह अभियान चलता रहेगा। हम वार्ड और विधानसभा बूथों तक जाकर वोटर को अपने वोट को शुद्ध करने के लिए जागरूक कर गंगाजल वितरित करते रहेंगे।
उपाध्यक्ष, मध्य प्रदेश कांग्रेस।
बता दें, मध्य प्रदेश में कांग्रेस का रूख़ बदला हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ राम मंदिर के निर्माण को लेकर सकारात्मक रूख़ अपनाए हुए हैं। कमलनाथ ने भूमि पूजन से पहले वीडियो संदेश जारी करते हुए राम मंदिर निर्माण का स्वागत किया था। नाथ ने संदेश में कहा था, ‘देश के करोड़ों लोगों की आकांक्षा पूरी होने जा रही है। हरेक देशवासी मंदिर चाहता है।’
कमलनाथ ने राम मंदिर की आधारशिला रखे जाने वाले दिन अपने आवास पर हनुमान चालीसा का पाठ रखा और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ़्तर को सजाया था। रात में आतिशबाजी भी हुई थी।
कमलनाथ का ‘राम मंदिर प्रेम’ और सॉफ़्ट हिन्दुत्व कोई नई बात नहीं है। मध्य प्रदेश विधानसभा के 2018 के चुनाव के दौरान भी नाथ ने खुलकर सॉफ़्ट हिन्दुत्व का कार्ड खेला था। बरसों पुराने बीजेपी के राम वनगमन पथ निर्माण के मुद्दे को उन्होंने कांग्रेस के संकल्प पत्र में शामिल किया था और सरकार बनने पर इस पर काम भी शुरू हुआ था।
कुल मिलाकर कमलनाथ का मक़सद बहुत साफ है कि राज्य की 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें कैसे हासिल की जाएं? इसी लक्ष्य को नाथ और उनकी टीम साध रही है।
बीजेपी का हमला
मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और शिवराज सरकार में मंत्री नरोत्तम मिश्रा कांग्रेस के ‘शुद्ध के लिए युद्ध’ अभियान पर यह कहते हुए निशाना साध रहे हैं, ‘कांग्रेस को अपने अंतर्करण को शुद्ध करना चाहिए। वह अप्रासंगिक हो चुकी है।’
‘राम भक्ति से फायदा नहीं होगा’
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अनुज और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक लक्ष्मण सिंह ने शनिवार को कहा, ‘राम भक्ति और वोट शुद्धिकरण अभियान से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा। ऐसा करने से लाभ में बीजेपी रहेगी। हमें तो बुनियादी मुद्दों को आगे रखकर उपचुनाव लड़ना चाहिए।’
कांग्रेस नेताओं में भिड़ंत
पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने लक्ष्मण सिंह के बयान को निरर्थक और बकवास करार दिया है। वर्मा का कहना है, ‘पूरा देश रामभक्ति में डूबा हुआ है। हर व्यक्ति का यही कहना है कि मैं राम हूं और राम मुझमें हैं।’ वर्मा ने कहा, ऐसे वक्त में लक्ष्मण सिंह को इस तरह के सवाल नहीं खड़े करने चाहिए।
दिग्विजय सिंह का रूख़ अलग
कमलनाथ भले ही राम मंदिर की पैरवी कर रहे हैं और हनुमान चालीसा का पाठ करा चुके हैं लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भूमिपूजन के वक्त को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केन्द्र सरकार, बीजेपी तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को जमकर घेरा था। दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया था, ‘चतुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता। फिर चतुर्मास में मंदिर की आधारशिला क्यों रखी जा रही है।’
मध्य प्रदेश की जिन 27 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें कई सीटें उस मालवा-निमाड़ से हैं जहां राममंदिर मुद्दा असर डालता रहा है। इन सीटों में 16 सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की भी हैं, इन क्षेत्रों में जातिगत समीकरण पहली पायदान पर रहता है। दूसरे क्रम पर धर्म-कर्म होता है। कांग्रेसी मानकर चल रहे हैं कि दिग्विजय सिंह की बयानबाजी और ट्वीट कमलनाथ की रणनीति को नुकसान पहुंचायेंगे।
पूरा जोर लगाना होगा
मध्य प्रदेश में खोयी हुई सत्ता दोबारा हासिल करने के लिए कांग्रेस को सभी 27 सीटें जीतनी होंगी तभी वह बिना किसी के सहारे सरकार बना पायेगी। इसके लिए कमलनाथ और उनकी टीम को पूरा जोर लगाना होगा। अभी कांग्रेस के पास 89 विधायक हैं। मध्य प्रदेश में अपने दम पर सत्ता पाने का नंबर 116 है। बीजेपी के पास 107 सीटें हैं। बीएसपी के पास दो और एसपी के पास एक तथा चार निर्दलीय विधायक हैं।
कमलनाथ ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की 114 सीटें आने पर सरकार बनायी थी, तब बीएसपी-एसपी के और चारों निर्दलीय विधायक कांग्रेस के साथ थे। बीजेपी के सत्ता में लौटने के बाद से इन सात में से कई कांग्रेस से छिटककर बीजेपी के साथ जा खड़े हुए हैं।
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