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ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी ने भी गिराई थी कांग्रेस सरकार

मध्य प्रदेश में क्या इतिहास दोहराया जाएगा? क्या कमलनाथ सरकार के दिन पूरे हो गये हैं? क्या नाथ सरकार अब नहीं बच पायेगी? ये और ऐसे कई सवाल, मध्य प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में गूंज रहे हैं और इस गूंज की अनुगूंज पूरे देश में हो रही है।

कमलनाथ सरकार के ख़िलाफ़ अबकी बार उनके अपने दल के कद्दावर और बेहद महत्वाकांक्षी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘बग़ावत का झंडा’ उठाया और पार्टी को अलविदा कह दिया। इसके अलावा कई विधायक-मंत्रियों ने भी कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया है। जूनियर सिंधिया के बाग़ी सुरों के बाद ही यह सवाल उठाया जा रहा है कि कहीं मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को कांग्रेस द्वारा ही गिराये जाने का इतिहास तो नहीं दोहराया जाएगा?

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इतिहास की यह घटना 1960 के दशक की है और बेहद दिलचस्प है। तब राज्य में द्वारका प्रसाद मिश्र की अगुवाई वाली सरकार थी। नंबरों के हिसाब से मिश्र सरकार भी कमलनाथ सरकार की ही तरह काफी कमजोर थी। मुख्यमंत्री मिश्र से सिंधिया राजघराने की मुखिया और जनसंघ की बेहद कद्दावर नेता विजयाराजे सिंधिया ‘खफ़ा’ हो गई थीं और उन्होंने कांग्रेस के गोविंद नारायण सिंह को साथ लेकर पार्टी में विद्रोह करवा दिया था। इससे द्वारका प्रसाद मिश्र की सरकार गिर गई थी। विजयाराजे सिंधिया की कूटनीति की बदौलत जुलाई, 1967 में मध्य प्रदेश में गोविंद नारायण सिंह की अगुवाई में संविद (संयुक्त विधायक दल) की सरकार बनी थी और दो साल चली थी।  
तब गोविंद नारायण सिंह ने बग़ावत की थी और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया बग़ावती तेवर दिखा रहे हैं। मध्य प्रदेश में 15 साल के सत्ता के वनवास के बाद दिसंबर, 2018 में बनी कांग्रेस की सरकार पर पहले ही दिन से संकट के बादल मंडराने लगे थे।
सरकार बनने के बाद हुए कुछ ‘लिटमस टेस्टों’ में कमलनाथ और कांग्रेस सफल रही। छिटपुट ‘परीक्षाओं’ जैसे विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के चुनाव में कांग्रेस की जीत ने कमलनाथ एंड कंपनी को ऊर्जा दी। सदन में कांग्रेस ने कुछ अन्य अवसरों पर भी बीजेपी को पटखनी दी। एक अवसर तो ऐसा भी आया जब बीजेपी के दो विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में वोट किया। इससे कांग्रेस बल्लियां उछलने लगी। 

बीजेपी मौक़े के इंतजार में थी और उसने इसी महीने की शुरुआत में ‘सत्तापलट’ का ट्रेलर दिखाया था। वक्त रहते कांग्रेस को उसके इरादों की भनक लग गई थी। बीजेपी के ‘प्लान वन’ को कांग्रेस ने ‘असफल’ कर दिया था क्योंकि बग़ावती तेवर दिखाने वाले विधायक वापस लौट आये थे। इससे कांग्रेस खुश भी हुई। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तो मीडिया से यहां तक कहा था, ‘आल इज वैल।’

‘प्लान वन’ के ‘असफल’ हो जाने के बावजूद बीजेपी ने ‘हार’ नहीं मानी और वह ‘प्लान टू’ पर काम करती रही। बीजेपी का ‘प्लान टू’ सामने आया तो भोपाल से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस नेताओं के ‘होश फाख्ता’ हो गये।

मुख्यमंत्री पद नहीं मिलने, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद ना दिये जाने और अब राज्यसभा की उम्मीदवारी में कथित तौर पर ‘अलग-थलग’ रखे जाने से खफ़ा पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी को अपनी ‘ताकत’ दिखा दी।

पूरा घटनाक्रम सोमवार को सामने आया। सिंधिया समर्थक आधा दर्जन मंत्रियों और एक दर्जन विधायकों के बीजेपी के साथ बेंगलुरू ‘उड़ने’ की भनक लगी तो मुख्यमंत्री कमलनाथ सकते में आ गये और बिना देर किए दिल्ली पहुंचे। उन्होंने सिंधिया से बात करने की कोशिश की लेकिन वह हाथ नहीं आये। उधर, कांग्रेस आलाकमान ने भी सिंधिया को साधने का प्रयास किया, मगर सिंधिया ने दिलचस्पी नहीं दिखाई और अंतत: मंगलवार को इस्तीफ़ा दे दिया। 

नई कैबिनेट बनाएंगे कमलनाथ

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर भोपाल वापस लौटे कमलनाथ ने मंगलवार देर रात कैबिनेट की बैठक बुलाकार वफादार मंत्रियों से थोकबंद इस्तीफ़े ले लिये। मंत्रियों ने नये सिरे से कैबिनेट के पुनर्गठन के लिए अपने इस्तीफ़े सौंपे जाने की बात मीडिया से कही।

कमलनाथ द्वारा कैबिनेट के पुनर्गठन की कोशिश मंत्री पद पाने को आतुर विधायकों को साधने का प्रयास है। भले ही वह कुछ विधायकों को इस चाल से साध लेंगे, लेकिन पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की भरपाई कैसे करेंगे? इस बात का माकूल जवाब कांग्रेस के रणनीतिकार भी नहीं दे पा रहे हैं।

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कमलनाथ ने अपने मंत्रियों के इस्तीफे मंजूर कर लिये हैं। सोमवार देर रात उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए सरकार होने का अर्थ सत्ता की भूख नहीं है, जन सेवा का पवित्र उद्देश्य है। बीजेपी ने 15 सालों तक सत्ता को सेवा नहीं, भोग का साधन बनाए रखा और वह आज भी अनैतिक तरीके से प्रदेश की सरकार को अस्थिर करने में जुटी हुई है।’ कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी के 15 सालों के राज में हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा और माफिया राज सरकार के समानांतर बना रहा। उन्होंने कहा कि वह सरकार को अस्थिर करने की कोशिश को सफल नहीं होने देंगे। 

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संजीव श्रीवास्तव

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