मध्य प्रदेश में सोमवार शाम को हुए घटनाक्रम के बाद रात भर सियासी नाटक चलता रहा। रात को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कैबिनेट की बैठक बुलाई और सरकार के 20 मंत्रियों से इस्तीफ़े ले लिये। माना जा रहा है कि कमलनाथ अब नई कैबिनेट का गठन करेंगे। कमलनाथ ने बीजेपी पर उनकी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया है। उधर, बीजेपी भी सक्रिय हो गई है और सोमवार रात को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घर पर मध्य प्रदेश के बीजेपी नेताओं की बैठक हुई है। बैठक में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई नेता उपस्थित थे।
‘ग़ायब’ हुए विधायकों में से कांग्रेस के बिसाहूलाल सिंह रविवार को भोपाल लौटे थे। जबकि उनसे पहले निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा रविवार को भोपाल आये थे। दोनों के साथ कमलनाथ ने फोटो खिंचवाये थे। कांग्रेसियों ने इन फ़ोटो को मीडिया के साथ शेयर किया था और संकेत दिये थे कि सब ठीक है। लेकिन शेरा कुछ घंटों बाद ही दिल्ली लौट गये थे। खबरें आईं कि शेरा बीजेपी वालों से मिल रहे हैं। तब शेरा ने बयान दिया था, ‘बीजेपी से मिलना अनुचित नहीं है, मैं तो कमलनाथ के साथ ही हूं।’
तमाम दांव-पेच और मंत्री बनने के लिए लालायित विधायकों के पेंतरों ने कमलनाथ को बेहद हैरान किया हुआ है। सूत्रों की मानें तो कमलनाथ ने एक बैठक में संकेतों में कांग्रेसियों और सरकार का समर्थन करने वाले विधायकों के बीच यह बात साफ कर दी है कि वह अपनी पारी खेल चुके हैं और उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ नहीं है। उन्होंने यह भी संकेत दिये कि यदि उनकी सरकार गई तो कईयों के भविष्य खराब हो जायेंगे।
बहरहाल, नाथ की दो टूक का असर होता नहीं नजर आ रहा है। सोमवार को नाथ दिल्ली में थे और वह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले। बताया गया है कि नाथ ने पूरे हालातों को पार्टी अध्यक्ष के समक्ष रखा। सोनिया गांधी और कुछ अन्य नेताओं से मेल-मुलाकात के बाद वह भोपाल लौट आये।
भोपाल और दिल्ली में पूरे दिन कांग्रेस खेमे में खासी गहमा-गहमी रही। उधर, सोमवार शाम को यह ख़बर आई कि सिंधिया समर्थक कई मंत्री और विधायक कांग्रेस की ‘रेज’ से बाहर हो गये हैं। नाथ सरकार में सिंधिया समर्थक मंत्रियों और सिंधिया के ही समर्थक दर्जन भर विधायकों के मोबाइल फ़ोन बंद होने से कांग्रेस खेमे में बेचैनी एक बार फिर बढ़ गई। देर शाम तक सिंधिया समर्थकों से नाथ और कांग्रेस का संपर्क नहीं हो सका था।
बताया जा रहा है कि पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंपना चाहती है लेकिन कमलनाथ इसके लिए राजी नहीं हैं। इसी वजह से सिंधिया खेमा एक्शन में है। सिंधिया भी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। एक खबर यह भी सरगर्म है कि सरकार बचाने के लिए पार्टी सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना सकती है और इसका एलान आजकल में किये जाने की चर्चाएं भी जोरों पर हैं।
हर कोई कर रहा कमलनाथ को ‘ब्लैकमेल’
कांग्रेस के सूत्र दावा कर रहे हैं कि ऐसे विचित्र हालात पहले कभी देखने को नहीं मिले हैं। बेहद कद्दावर नेता कमलनाथ को अनेक कांग्रेसी और सरकार का समर्थन करने वाले विधायक जोरदार ढंग से ब्लैकमेल करने पर आमादा हैं। कमलनाथ का पाला पहले इस तरह के हालातों से कभी नहीं पड़ा है। वह बेहद द्रवित बताये जा रहे हैं। सूत्र यह भी दावा कर रहे हैं कि ‘अपनी पारी खेल चुकने’ वाले नाथ के बयान को संजीदगी से ना लेना उन्हें ब्लैकमेल करने वालों पर भारी पड़ सकता है।
सिंधिया समर्थक जिन मंत्रियों और विधायकों के फ़ोन स्विच ऑफ़ आ रहे हैं उनमें मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी और स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट प्रमुख हैं। इनके अलावा सिंधिया समर्थक विधायक जसवंत जाटव, मुन्नालाल गोयल, गिर्राज दंडोतिया, ओपीएस भदौरिया भी शामिल हैं।
बेंगलुरू बना बीजेपी का ‘ऑपरेशन सेंटर’
बीजेपी ने कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को लामबंद करने के लिए बेंगलुरू को ‘ऑपरेशन सेंटर’ बना रखा है। बाग़ी विधायकों को बीजेपी वहीं लामबंद कर रही है। कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है। ख़बर है कि वहां की सरकार का पूरा समर्थन मध्य प्रदेश के बीजेपी नेताओं को मिल रहा है। 6 मंत्रियों और 11 विधायकों को बेंगलुरू में बीजेपी द्वारा ‘इकट्ठा’ कर लेने की ख़बरें भी मध्य प्रदेश के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में घूम रही हैं।
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